दुनियां की सर्वोत्तम शक्तिशाली दवा ख़ुशी | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • ख़ुशी पैसों पर नहीं परिस्थितियों पर निर्भर करती है 
  • ख़ुशनसीब वह नहीं जिसका नसीब अच्छा है, बल्कि वह है जो अपने नसीब से ख़ुश है - खुश रहो, मस्त रहो, मुस्कुराते रहो - एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर ऐसा कोई मानवीय जीव नहीं होगा जो ख़ुश रहना ना चाहता हो, बल्कि आज के डिजिटल युग में खुशियां पाने की होड़ सी लग गई है। मेरा मानना है कि आज ख़ुशी पाने के लिए मानवीय जीव हद से बेहद तक कोई भी कार्य करने के लिए तत्पर रहता है, इसके लिए चाहे अनेकों मानवीय जीवों को अति नहीं बल्कि विभिशक दुखी भी क्यों ना करना पड़े, परंतु सुख और खुशी जो कई बार हमारे प्रतिष्ठा, रुतबा, नाम नेतृत्व और नाक को भी आधार बना देता है। याने यह सब हमारे पक्ष में होने पर ही हमें ख़ुशी मिलती है। इस प्रकार की खुशी को अगर हम वर्तमान में दो देशों की एक वर्ष से चल रही लड़ाई के एंगल से देखें तो ऐसा महसूस होता है कि दोनों की खुशी, जीतने में ही है अभी एक दिन पहले ही दुनिया के शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति नें उस देश मैं एंट्री करने और अन्य शक्तिशाली देश ने वैश्विक परमाणु विध्वंसक गतिविधियां देखने की ट्रिटी को तोड़कर उसका जवाब दिया जिससे दोनों देशों के नाक की लड़ाई दुनिया को खाक करने से खुशी की ओर चल पड़ी है परंतु इसका सटीक वाक्य किसी ने लिखा है, खुशी पैसों लड़ाई वर्चस्व और रुतबे से नहीं बल्कि परिस्थितियों माहौल सृष्टि हित पर निर्भर करती है। कोई अगर नसीब से शक्तिशाली है तो खुश नसीब नहीं हुआ बल्कि जो अपने नसीब से खुश है वह खुशनसीब है, क्योंकि दुनिया की सर्वोच्च शक्तिशाली दवा ख़ुशी है, इसलिए खुश रहो, मस्त रहो, मुस्कुराते रहो। 

साथियों बात अगर हम खुशियां पैसों पर नहीं परिस्थितियों पर निर्भर होने की करें तो, अगर हमारी परिस्थितियां बेकार है तो पैसा भी हमको खुश नहीं कर सकता। जैसे अगर हमारे घर में कोई बीमार है, हमारे घर की सिचुएशन बहुत बेकार हमारे घर में सब कुछ ठीक नहीं है, झगड़े होते है तो पैसा उस परिस्थिति को ठीक नहीं कर सकता। ऐसी जगह पर पैसा भी काम नहीं आता है तो इस हिसाब से यह कहना मुश्किल है कि पैसों पर खुशियां निर्भर करती है। पैसों से घर खरीद सकते हैं, पर उसमें रहने वाला परिवार खरीदा नही जा सकता। परिवार का प्यार तक पैसों से खरीदा जा सकता है। परंतु उस प्यार की सच्चाई तथा गहराई को खरीद पाना नामुमकिन। रिश्ते पैसों के दम पर बनाये जा सकते हैं। पर मोल देकर बनाये रिश्तों को कायम रखना मुश्किल है। धन आराम की व्यवस्था कर सकता है, मन का चैन की नही।जीवन को सुविधाजनक बनाने की हर वस्तु खरीदी जा सकती है, परंतु उससे मिलने वाली खुशी व्यक्ति के बस में नही होती। खुशी व्यक्ति के अंदर होती है। उसे खरीदा नही जा सकता। साथियों बात अगर हम हमारे लिए ख़ुशी के मतलब की करें तो, ख़ुशी का मतलब, हम जो भी हैं, जैसे भी हैं, हर हाल में अपनी स्थिति से संतुष्ट रह कर ख़ुश रहना ही ख़ुशी है।हम किसी को प्यार करें, कोई हमसे प्यार करे, यह ख़ुशी के लिए आवश्यक है। जो लोग विभिन्न कारणों से ख़ुश नहीं रहते, उन्हें छोटे बच्चों तथा पशु पक्षियों से प्रेरणा लेकर सदैव ख़ुश रहने का प्रयास करना चाहिए।वर्तमान समय में हम संचार के साधनों जैसे, मोबाइल तथा दूसरी सुख सुविधाओं के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि, उनके न रहने पर हमें दुख का अनुभव होता है। मोबाइल के बिना तो ऐसा लगता है जैसे जिंदगी ठहर गई हो। इसलिए आज के समय में अपनों तथा अजनबियों के प्यार भरे साथ के अलावा जीवन में सुख सुविधाओं का होना भी ख़ुशी के लिए कुछ हद तक अनिवार्य हो सकता है। हमारे लिए इंसान तथा पशु पक्षियों का सच्चा प्यार ही ख़ुशी है। हम सभी ने कभी न कभी किसी ग़रीब आदमी को भी अपने परिवार या मित्रों के साथ ख़ुशी से हंसते मुस्कुराते अवश्य देखा होगा।यह सोचना कि ये हो जाएगा या वो मिल जाएगा तब मैं ख़ुश हो जाऊंगी, सिर्फ़ एक छलावा है, क्योंकि इच्छाएं अनन्त हैं। केवल इनकी पूर्ति से स्थाई ख़ुशी नहीं मिल सकती। ख़ुश रहने की पहली शर्त है, अपने सीमित साधनों में संतुष्ट रहना। 


साथियों बात अगर हम अपनी मनुष्य योनि पर फ़क्र और सृष्टि की रक्षा में खुशी की करें तो, हम मनुष्य हैं इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती हैं ? परमात्मा के द्वारा बनाए गए सभी श्रेष्ठतम कृतियों में से सबसे श्रेष्ठ कृति है ! इससे ज़्यादा अब और क्या ख़ुशी चाहिए।इस पृथ्वी पर केवल मनुष्य ही खुशी का राज जानना चाह रहा है आखिर क्यों ? क्यूंकि केवल मनुष्य ही ने सारे तंत्रों को बिगाड़ कर रखा है ! इस जहां में अगर मनुष्य ना होता तो सबजीव खुश रहते।पेड़-पौधे,पक्षी, सारे प्राकृतिक जीव हम मनुष्यों की वजह से ही तो दुखी हैं। शायद भगवान भी दुःखी है और वह भी खुशी का राज ढूंढ रहा है ! हां, यह सही बात है क्योंकि मनुष्य को बनाने के बाद उसने क्रिएशन रोक दिया है ! अब नहीं बना रहा कुछ भी शायद पश्चाताप कर रहा होगा, बैठकर विलाप कर रहा होगा कि आखिर उसने क्या रच दिया? हमने कभी किसी पेड़ को देखा है किसी से पूछते हुए कि खुशी का राज क्या है ? कोई जीव जंतु, कोई चिड़िया, कोई नदी, कोई सूरज,कोई चाँद-तारे कभी किसी से पूछते हैं कि खुशी का राज क्या है ? मनुष्य को छोड़ कर कोई नहीं पूछता है। असल में उन लोगों के पास यह फालतू सवाल ही नहीं है ! कोई पूछ ही नहीं सकता है क्योंकि सभी खुश हैं | असल में खुशी का कोई राज है ही नहीं ! वास्तव में खुशी तो बस बीइंग है, खुशी होना है, खुशी हैं ही हम ! हमारा नेचर है खुशी, हमारी प्रकृति है खुशी ! बस अपने नेचुरल स्टेट में रहें, अपने नेचुरल अपने प्राकृतिक स्थिति में रहें,हम खुश रहेंगे।कोई भी खुश रहेगा अगर वह अपनी प्राकृतिक अवस्था में रहता है तो खुशी प्रेम दया, करुणा, प्रार्थना यह सभी मानवीय अनुभूतियां स्वतंत्रता की ही तरह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है,जो परमात्मा हमें देता है ! 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनिया की सर्वोत्तम शक्तिशाली दवा खुशी है, खुशी पैसों पर नहीं परिस्थितियों पर निर्भर करती है। खुशनसीब वह नहीं जिसका नसीब अच्छा है, बल्कि वह है जो अपने नसीब से खुश है इसलिए खुश रहो मस्त रहो मुस्कुराते रहो। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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