नया सवेरा नेटवर्क
काशी-वाराणसी साहित्य महोत्सव में मिला सम्मान
जौनपुर। जिले के मछलीशहर तहसील अंतर्गत ग्राम सरावां निवासी कृष्ण कुमार यादव शुक्रवार को ''काशी साहित्य'' सम्मान से सम्मानित किये गये। वाराणसी में पहली बार आयोजित हो रहे त्रिदिवसीय ''काशी-वाराणसी साहित्य महोत्सव'' में चर्चित साहित्यकार एवं ब्लॉगर, वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव को साहित्य तथा राजभाषा हिन्दी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान, समर्पण तथा उपलब्धि के लिए ''काशी साहित्य'' सम्मान से विभूषित किया गया। श्री यादव को यह सम्मान महोत्सव के प्रधान संरक्षक एवं पूर्व सांसद (राज्यसभा) रवींद्र किशोर सिन्हा ने प्रदान किया। शुक्रवार को श्रीकाशी वि·ानाथ मंदिर धाम के कॉरिडोर सभागार में आयोजित उक्त कार्यक्रम में श्री काशी वि·ानाथ न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पाण्डेय, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार वि·ाविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. केजी सुरेश, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय वि·ाविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, लखनऊ वि·ाविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई के पूर्व कुलपति प्रो. राम मोहन पाठक सहित तमाम विद्वतजन मौजूद रहे। गौरतलब है कि कृष्ण कुमार यादव लोकप्रिय प्रशासक के साथ ही सामाजिक, साहित्यिक और समसामयिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाले साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं। विभिन्न विधाओं में इनकी सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और इनके जीवन पर भी एक पुस्तक ''बढ़ते चरण शिखर की ओर प्रकाशित हो चुकी है। देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु आपको शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ""अवध सम्मान"", पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा ""साहित्य-सम्मान"", छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त द्वारा ""विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान"" से विभूषित श्री यादव को अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित किया जा चुका है। विभागीय दायित्वों और हिन्दी के प्रचार-प्रसार के क्रम में अब तक श्री यादव लंदन, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं। इनके परिवार को यह गौरव प्राप्त है कि साहित्य में तीन पीढि़याँ सक्रिय हैं। इनके पिता राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी आकांक्षा भी चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं, वहीं बड़ी बेटी अक्षिता (पाखी) अपनी उपलब्धियों हेतु भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित हुई हैं।
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