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मुंबई। पाँच फ़रवरी,1961 को उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जनपद के गांव तेजपुर में पैदा हुए और अपने जीवन का बासठ बसंत देख चुके रायल्टी प्राप्त कवि व वरिष्ठ साहित्यकार रामकेश यादव का मुंबई में बड़ी ही सादगी से उनके इष्ट मित्रों के बीच जन्मदिन मनाया गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी और सरल,सहज स्वभाव के श्री यादव बृहन्नमुम्बई महानगरपालिका के शिक्षण विभाग मुंबई से सेवानिवृत्त होकर साहित्य साधना में लगे हैं।
इन्हें पंडित दीनदयाल पुरस्कार के अलावा 300 से अधिक अन्य पुरस्कारों तथा सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। इनकी लिखी पुस्तकें जैसे मैं सैनिक बनूँगा, तिरंगा, वतन,मेढक का संगीत, हाथी का सपना,सरहद, क्रांति,मेरा देश महान, याद करो कुर्बानी,महफूज रहे देश, मजदूरन, देश-प्रेम,कश्मीर न देंगे,मुंबई काव्य संग्रह, पानी बचाओ,आज की नारी,महाराष्ट्र का आईना (भाग एक), दुनिया यदि बचानी है? महाराष्ट्र का आईना (भाग-दो),आओ स्कूल चलें हम,(नाटक), मधुशाला (काव्य), बेटी बचाओ! काव्य-संग्रह,किसान की बेटी, कटते जंगल पूछ रहे हैं!, चाँद पर बसेरा काव्य-संग्रह!, मिट्टी की सुगंध (काव्य,), महारानी लक्ष्मीबाई (काव्य ) तथा अन्य और पुस्तकें राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत हैं। श्री यादव का अब तक 1700 से अधिक लेख, पत्रलेख,कविता, साक्षात्कार आदि देश के विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित हो चुका है। महाराष्ट्र पाठ्य पुस्तक निर्मिती विभाग व अभ्यास क्रम मण्डल, पुणे द्वारा श्री यादव की दो रचनाएँ पाठ्य पुस्तक में शामिल की जा चुकी हैं। श्री यादव के जन्मदिन पर उनके दीर्घायु तथा स्वस्थ्य रहने की हार्दिक शुभकामनायें स्थानिक,लेखकों,पत्रकारों,साहित्यकारों तथा अन्य गणमान्य नागरिकों ने दी है।
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