उम्र का बंधन तोड़ दे! | #NayaSaveraNetwork

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उम्र का बंधन तोड़ दे!   

ये गलियाँ, ये चौबारे, मेरे काम के नहीं।

किसी काम के नहीं।


जिन्दगी की कश्ती का कोई किनारा न मिला,

जब से चुराई दिल,उसका नजारा न मिला।

उम्मीदें सारी छोड़ दूँ,

या रिश्ता उससे जोड़ लूँ।

हे! परवरदिगार कुछ कर उपाय,

या सारे बँधन तोड़ लूँ,

ये गलियाँ, ये चौबारे,मेरे काम के नहीं।

किसी काम के नहीं।


मंजिल-ए-इश्क वो मुझको बुलाती हैं अभी,

बस में नहीं है कुछ आँखें पिलाती हैं अभी।

तू उम्र का बँधन तोड़ दे,

या दर्द-ए-दिल से जोड़ दे।

जख्म-ए-जिगर पे मत गिरा बिजली,

धड़कन से धड़कन जोड़ दे,

ये गलियाँ, ये चौबारे,मेरे काम के नहीं।

किसी काम के नहीं।


अदाओं के खंजर से करती है घायल मुझे,

उसकी बलाएँ देखो,करती हैं कायल मुझे।

वो मुझे सताना छोड़ दे,

या दिल का दरीचा खोल दे।

मेरे बिगड़े काम बना मौला!

तू हुस्न-ए-बहार से जोड़ दे,

ये गलियाँ, ये चौबारे,मेरे काम के नहीं।

किसी काम के नहीं।

रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई


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