नया सवेरा नेटवर्क
||भरत विलाप||
चउदह बरिषवा के दिन कब बितिहइं,कब भइया राम अवधपुर अइहइं||
आइ के अवधपुर के बिगड़ी बनइहइं,बइठिके सिंहासन पे रजिया चलइहइं|
रजिया चलाइ हमइं कब सुख देइहइं,कब भइया राम अवधपुर अइहइं||
तकि तकि रहिया बितत दिन रतिया,दरशन हित ना थकत बाटइ अँखिया|
दरशन पाइ कब आँखि सुख पइहइं,कब भइया राम अवधपुर अइहइं||
हे हो गुरूजी तनी देतअ बताई,कब अइहइं राम लखन सिय माई|
कब तक ओराइ दुखद दिनवा जइहइं,कब भइया राम अवधपुर अइहइं||
धीरज बा छूटत ना साहस बा बाकी,एकइ दिशा में गुरुवर दिन राति ताकी|
बाकी बा दिन केतना कब तक बितिहइं,कब भइया राम अवधपुर अइहइं||
पं.जमदग्निपुरी
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