ठिठुरन भरी पूस की रात | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

ठिठुरन भरी पूस की रात

हम गरीबों का मसीहा कौन है?

चांँद से बातें करता हूंँ ,


सिर पे  मांँ - बाप का हाथ नहीं,

पर , छोटे भाई का साथ है ,

अब खोने को कुछ बचा क्या है!

अपना कोई ठिकाना नहीं ,


सड़क पर भटकता हूँ  , मांँगने से  कुछ मिल जाता है,

छोटे भाई का आधा पेट भरता हूंँ , ख़ुद पानी पी के रहता हूंँ ,


क़िस्मत का खेल है , हम गरीबों का मसीहा कौन है?

अनगिनत तारों से  सवाल पूछता हूंँ।


ठिठुरन भरी पूस की रात में , न रज़ाई , न क़ंबल

एक दूसरे को गले लगा कर  पटरियों बैठा हूंँ ,

बदन के ताप से , थोड़ी  -  सी गर्माहट मिल रही ,


रोड पर जाते लोग , हाथ में कुछ सिक्के पकड़ा जाते हैं

तो कोई हम पर तरस खाकर , 

कपड़े का थैला पकड़ा जाता ,


कब तक टुकड़ों पर जिएंगे ,  इनसे अब गुज़ारा नहीं होगा ,

आसमाँ को देख सवाल करता हूंँ ,

हम गरीबों को मसीहा कौन है?

(मौलिक रचना)

चेतना प्रकाश 'चितेरी ' , प्रयागराज, उत्तर प्रदेश




*उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (सेवारत) के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह की तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं | Naya Sabera Network*
Ad

*उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, जौनपुर के जिलाध्यक्ष अमित सिंह की तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं| Naya Sabera Network*
Ad


*श्री गांधी स्मारक इण्टर कालेज समोधपुर जौनपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रणजीत सिंह की तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं | Naya Sabera Network*
Ad


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ