कविता | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
सैकड़ों का बिल हज़ारों में बनवाता हूं
झासकीय कर्मचारी हूं चूना लगाता हूं
डिपार्टमेंट की स्टेशनरी खरीदी करता हूं
ज़वाबदारी से भ्रष्टाचारी करता हूं
सैकड़ों का बिल हज़ारों में बनवाता हूं
मिलीभगत से पक्का काम करता हूं
जीएसटी का पक्का बिल हज़ारों में बनाता हूं
जो जीएसटी लगती है उसमें भी चूना लगाता हूं
सैकड़ों का बिल हज़ारों में बनवाता हूं
मैंने डिपार्टमेंट में सामान खरीदने दलाल रखा हूं
साहब और दलाल के बीच मैं भी दलाल हूं
रिकॉर्ड में कर्मचारी हूं पर भ्रष्टाचारी हूं
सैकड़ों का बिल हज़ारों में बनवाता हूं
ऑडिट में भी सफाई से दिखाता हूं
फ़सने पर हरे गुलाबी बांटता हूं
चाटुकारिता भ्रष्टाचारिता का मंत्र अपनाता हूं
सैकड़ों का बिल हज़ारों में बनवाता हूं
चार बार निलंबित भी हुआ हूं
जांच रिपोर्ट शीघ्र ही अपने फेवर में बनवाता हूं
मौज-मस्ती से झास्किया जिंदगी काटता हूं
सैकड़ों काबिल हज़ारों में बनवाता हूं
-लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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