नया सवेरा नेटवर्क
||रावण से विनती||
सुनिलअ हे भाई वचनिया मोरी,चलअ राम की शरनिया हो|
राम की शरनिया हो राम की शरनिया|
चलिके तूँ छुइलअ चरनिया,हे भाई चलअ राम की शरनिया हो||
भइया ओन्हइं मनई तूँ नाहीं जानअ|
अजर अमर अविनाशी परमब्रह्म मानअ||
मानअ हे भाई वचनिया मोरी,चलअ राम की शरनिया हो||
सुनिलअ हे भाई------
दीन दयाल दया के हैं सागर|
करते हैं पपियन का भी वो तो आदर||
गहिलअ तूँ ओनकी चरनिया,चलअ चली राम की शरनिया हो|
सुनिलअ हे भाई वचनिया मोरी------
देव गाइ द्विज खातिर धरलें शरीरिया|
दुष्टन के दण्ड देइ अइलें सॕवरिया||
मानअ हे भाई वचनिया मोरी,चलअ राम की शरनिया हो|
सुनिलअ हे भाई--------
ओनसे बयर किहे कुछु नाहीं पउबअ|
अपने ही हॕथवा कुल आपन डुबउबअ||
मानअ हे भाई वचनिया मोरी,चलअ राम की शरनिया हो||
सुनिलअ हे भाई-------
दइके सिया जी के कुल ल बचाई|
इही में हम सबकअ बाटइ भलाई||
मानअ हे भाई वचनिया मोरी,चलअ राम की शरनिया हो|
सुनिलअ हे भाई -------
हमरे दुलार खातिर मानि जा कहनवा|
सीता के जिद छोड़ि दइदा विरनवा||
माॕगतानी धइके चरनिया,हे भाई चलअ राम की शरनिया हो|
सुनिलअ हे भाई------
वापस करइ सिय के सुनिके वचनवा|
मारेसि विभीषण के गहिके चरनवा||
चलि जो तइं राम के शरनिया,दुष्ट छोड़ि लंका नगरिया रे|
सुनिले तइं हमरी वचनिया,चला जा तूँ राम की शरनिया रे||
जीया खाया रहा अब तक तूँ लंका|
पीट रहा कायर तूँ दुश्मन का डंका||
हटिजा तइं हमरी नजरिया,चला जा छोड़ि लंका नगरिया रे|
सुनिले तइं हमरी वचनिया,चला जा तूँ राम की शरनिया रे||
पुनि पुनि विभीषण रहा समझाई|
मानि जा तूँ बतिया मोरी बड़का भाई||
मारिलअ हमइ चाहे जेतना हे भाई,चलअ राम की शरनिया हो|
सुनिलअ हे भाई------
पं.जमदग्निपुरी
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1 टिप्पणियाँ
सुन्दर
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