नया सवेरा नेटवर्क
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है, १९
हुआ इश्क उसको जगने लगी है। १९
आई है नजरों में जब से देखो, २०
पहले से ज्यादा संवरने लगी है। २१
(१)
छलकते बदन पे पानी चढ़ा अब, १९
जख्मों के ऊपर मरहम लगा जब।
सूरत है ऐसी कि मानों परी हो, २०
आशिकी में आहें भरने लगी है। २०
हुआ इश्क उसको जगने लगी है। १९
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है, १९
आई है नजरों में जब से देखो, २०
पहले से ज्यादा संवरने लगी है। २१
(२)
आँखें हैं कातिल जुबां शायराना, २१
कहीं रब न दे दे मुझे ये खजाना। २०
लटकने लगे अब मदिरालय ताले, २०
अदाएँ मुझे गुदगुदगुदाने लगी हैं, २१
हुआ इश्क उसको जगने लगी है। १९
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है, १९
आई है नजरों में जब से देखो, २०
पहले से ज्यादा संवरने लगी है। २१
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
हुआ इश्क उसको!
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है,
हुआ इश्क उसको जगने लगी है।
आई है नजरों में जब से देखो,
पहले से ज्यादा संवरने लगी है।
छलकते बदन पे पानी चढ़ा अब,
जख्मों के ऊपर मरहम लगा जब।
सूरत है ऐसी कि मानों परी हो,
आशिकी में आहें भरने लगी है।
हुआ इश्क उसको जगने लगी है।
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है,
आई है नजरों में जब से देखो,
पहले से ज्यादा संवरने लगी है।
आँखें हैं कातिल जुबां शायराना,
कहीं रब न दे दे मुझे ये खजाना।
लटकने लगे अब मदिरालय ताले,
अदाएँ मुझे गुदगुदगुदाने लगी हैं,
हुआ इश्क उसको जगने लगी है।
ख्वाबों में मुझसे मिलने लगी है,
आई है नजरों में जब से देखो,
पहले से ज्यादा संवरने लगी है।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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