भागवत कथा में प्रवचन सुनाते वेदांती महाराज। |
नया सवेरा नेटवर्क
जमैथा में परमहंस आश्रम की ओर से चल रही है श्रीमद भागवत कथा
सिरकोनी,जौनपुर। भगवान परशुरामजी की तपोस्थली जमैथा गांव में आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बाबा परमहंस आश्रम पर बड़का बाबा, श्री बालकदास बाबा,श्रीराममंगल दास तथा पूर्व प्रधान राममूर्ति सिंह की स्मृति में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया है। इसका आयोजन आश्रम के संत राजन दास महाराज ने किया है। कथा में प्रवचन देते हुए अयोध्या से आये सन्त रामशंकर वेदांती महाराज ने कहा कि गुरूवार के वचनों को सुनकर जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने पार्वती का एक उदाहरण देते हुए कहा कि''तजऊं न नारद कर उपदेशू। आपु कहहिं सत बार महेसू।।''सप्तर्षियों से श्रीपार्वती ने कह दिया घर बसे या उजड़े मैं गुरू के वचनों का त्याग नहीं कर सकती यदि स्वयं मेरे आराध्य भी कहें तो यही श्रद्धा की समग्रता है। गुरू वचनों पर जिसे पूर्ण निष्ठा होती है उसे प्रेमास्पद को पाने से कोई रोक नहीं सकता। पार्वती की परीक्षा ने स्पष्ट कर दिया उत्कृष्ट कोटि के प्रेम में अविवेकिता भी दिखे तो वह आदरणीय है। जो अपने गुरू और इष्ट के प्रति विना विचार के पूर्ण निष्ठ हो। श्री महाराज ने कहा ''यथा तरोर्मूलनिषेचनेन''जिस तरह वृक्ष को सींचने से उसकी तना,शाखाएँ आदि सबका पोषण हो जाता है, जैसे भोजन द्वारा प्राणों को तृप्त करने से सारी इन्द्रियाँ पुष्ट हो जाती हैं। उसी तरह श्रीभगवान की पूजा करने से सबों की पूजा हो जाती है। क्योंकि सम्पूर्ण जगत् श्रीहरि से ही उत्पन्न होता है तथा उन्हीं में समा जाता है। महंत राजन दास महाराज के तत्वाधान में हो रही है। कथा के शुरु आत में राजदेव शुक्ल,डॉ विनोद प्रसाद सिंह,शिवकांत शुक्ला, राजेन्द्र सिंह,प्रेमप्रकाश सिंह,आनंद सिंह आदि ने सन्त श्री का माल्यर्पण कर स्वागत किया। कथा में डॉ रजनीकांत द्विवेदी, बीरबल शुक्ला,गंगाधर शुक्ल,महेंद्र नाथ शुक्ला सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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