वाहनों की चेकिंग करते पुलिसकर्मी। |
नया सवेरा नेटवर्क
बाजार व रेलवे क्रासिंग जाम का कारण भी बन रही पुलिस
जौनपुर। जनपद में पुलिस महकमे के आला अधिकारी किसी घटना में तस्दीक करने को बात करने से मना कर देते हैं। उनकी ओर से बताया जाता है कि फला मातहत तस्दीक करने को नियुक्त है। जबकि किसी छुटभैये बदमाश को पकड़कर एनकाउंटर के नाम पर मारने के बाद मीडिया वालों को जुटाया जाता है समोसे के नाम पर। इस समय दिवाली नज़दीक देख पटाखे की दुकानों, फैक्टिरयों, दारू के अड्डों की धरपकड़ के साथ हेलमेट, कागज के नाम पर वसूली अभियान चल पड़ा है। बृहस्पतिवार की दोपहर लखनऊ, वाराणसी मार्ग की रेलवे क्रासिंग पर यही खेल चलता रहा। एक हादसे में ट्रैक्टर पर सवार दर्जनों लोगों की मौत के बाद प्रदेश सरकार ने सख्ती बरती की ट्रैक्टर पर सवारी नहीं ढोई जाएगी। बस क्या था, पुलिस को एक और मौका मिल गया वसूली के लिए। एक ऐसे ट्रैक्टर को रोककर सीज किया जो र्इंट उतारकर लौट रहा था। इंजन पर एक महिला लेबर बैठी थी। चालक कागज दिखाया फिर भी चालन हो गया क्योंकि उसके पास सुविधा शुल्क देने भर को पैसा नहीं था। इसी तरह हेलमेट वाले वह बाइकर्स निकल जा रहे थे जो सौ रु पये देते थे। कार वाले भी जो बेल्ट आदि नहीं लगाए थे वह 200 में पार हो रहे थे। यही हाल अन्य छोटे बड़े माल वाहनों का भी था। जबकि यही पुलिस वाले अपनी जिप्सी में बगैर बेल्ट लगाए बैठे दिखे। इनकी वसूली जांच के कारण क्रासिंग भर निरन्तर जाम जैसे हालात बने रहे। ये स्थिति हाइवे या अन्य सड़कों के हर नाके पर बनी रही। वसूली के चलते जाम में फंसे तमाम यात्री हलकान थे। कुछ ऐसे भी बाइकर्स थे जो कागज, हेलमेट से दुरु स्त थे फिर भी चालान होने पर बाकायदा रसीद मांग रहे थे। यह क्रम दिनभर चला। अब मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच के नाम पर वसूली वाले भी निकल पड़े हैं।
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