रामकेश एम.यादव (कवि, साहित्यकार),मुंबई |
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जड़ मत काटो!
जो शश्वत है वही सत्य है,
जो सत्य है वही ईश्वर है,
जो ईश्वर है वही सुन्दर है।
ईश्वर से जुड़ा रहने दो,
शश्वत से जुड़ा रहने दो,
मत काटो किसी की जड़,
जड़ से जुड़ा रहने दो,
हमें भी जिन्दा रहने दो।
तुम भी रहो,हम भी रहें,
क्यों न एक साथ रहें,
ये हवा सभी की है,
धूप भी सभी की है,
कभी न रोक किसी की धूप,
फूल जैसा खिलने दो,
जड़ से जुड़ा रहने दो।
हमें भी जिन्दा रहने दो।
देखो धुआँ भरा आँखों में,
उन्माद भरा शाखों में,
मत हिला नींव की ईंट,
किसने बनाया तुम्हें ढीठ,
बहती आई मोहब्बत की नदी,
इसको न दूषित होने दो,
जड़ से जुड़ा रहने दो।
हमें भी जिन्दा रहने दो।
रामकेश एम.यादव (कवि, साहित्यकार),मुंबई
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