नया सवेरा नेटवर्क
मध्यम वर्गीय जीवन
अभी कंधे मजबूत नहीं
पर बोझ झेलता हूं,
लोग खिलौने खेलते हैं
मैं जिंदगी से खेलता हूं।
मन मेरा भी करता है
अच्छा अच्छा खाने को,
पर वो मेहनत याद आती है
जब चलता हु एक वक्त की रोटी कमाने को ।
अच्छे कपड़े मॉल से लाते है
मैं फुटपाथ से ले लेता हूं,
मैं अंबानी का बेटा नहीं हूं
मैं एक निर्धन का बेटा हूं।
ज्यादा पाने की चाहत में
अपने को अब उलझाता नही हूं,
जो मिल जाए उसमे ही गुजारा हो
अब उम्मीदें बढ़ाता नहीं हूं।
आंखे नम होती है जब
दूसरे के बच्चे मजा लूट रहे होते हैं,
हम पर जिम्मेदारी का बोझ है साहब
हमारे पसीने भी निकल के सुख रहे होते हैं।
रितेश मौर्य
जौनपुर, उत्तर प्रदेश
मो. नं.8576091113
Ad |
Ad |
Ad |
0 टिप्पणियाँ