नया सवेरा नेटवर्क
भागवत पुराण का पांचवा दिन,अमृत पान में डूबे श्रद्धालु
मीरगंज,जौनपुर। राम नाम की औषधि खरी रीति से खाए ,अंग पीड़ा उपजे नहीं महा रोग मिट जाए'' प्रत्येक मानव को कथा रूपी औषधि का सेवन करना चाहिए और वाणी में मधुरता होनी चाहिए। जैसे कौआ व कोयल में विशेष अंतर नहीं होता लेकिन कोयल अपनी मीठी बोल से सभी की प्रिय होती है इसलिए मनुष्य को सरल व प्रिय बोलना चाहिए। उक्त वाक्य क्षेत्र के मीरपुर उमरी गांव निवासी पूर्व निदेशक गिरजाशंकर तिवारी के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन प्रयागराज धाम से महाराज श्री माधवाचार्य के मुख से सुनकर श्रद्धालु श्रवण पान कर अमृत मय संगीत की धारा में डुबकी लगा रहे हैं। भागवत कथा वाचक महाराज के मुख से अविरल भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही है जिसमे क्षेत्र और दूर दराज से श्रद्धालु जन सम्मिलित होकर अपने जीवन को धन्य धन्य कर रहे हैं। कथा में महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि कन्हैया जैसी लीला मनुष्य क्या कोई अन्य देव नहीं कर सकता। लीला और क्रिया में अंतर होता है, भगवान ने लीला की है। जैसे जिसको कर्तव्य का अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा हो तो वह क्रिया कहलाती है। जिसको न तो कर्तव्य का अभिमान है और न ही सुखी रहने की इच्छा हो बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की जिससे सभी गोकुल वासी सुखी थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी का रहस्य मन की चोरी से है। कन्हैया ने अपने भक्तों के मान की चोरी की है। इस प्रकार उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बैठे श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। तत्पश्चात पूतना वध, गोवर्धन लीला, मटकी फोड़ एव रासलीला का भी वर्णन किया। इसके पूर्व विशिष्टजनों ने माल्यार्पण कर महाराज का सम्मान करते हुए आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम संयोजक पूर्व निदेशक गिरजाशंकर तिवारी ने आये हुए सभी श्रद्धालुओं के सेवा भाव मे पलक पावड़े बिछाये रहे। इस मौके पर महिमाकांत दुबे, विपिन कुमार, दरोगा पाण्डेय, पवन प्रीत, शिव आचार्य अंकुर तिवारी सहित सैंकड़ों भक्तों ने भगवत कथा का श्रवण करते हुए प्रसाद ग्रहण किया।
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