शास्त्री पुल की टूटी हुई रेलिंग |
क्षतिग्रस्त फुटपाथ। |
नया सवेरा नेटवर्क
1977 में बने इस पुल की मरम्मत में खर्च होगें पांच करोड़
रोजाना हजारों की संख्या में वाहनों का होता है आवागमन
प्रयागराज-जौनपुर-आजमगढ़ मार्ग को जोड़ता है यह पुल
जौनपुर। प्रयागराज से जौनपुर होते हुए आजमगढ़ जाने वाले शहर से गुजरने वाले मार्ग पर स्थित गोमती नदी के ऊपर बने शास्त्री पुल की रेलिंग गुरूवार की रात टूटकर गोमती नदी में गिर गई। हलांकि प्रशासन ने एक सप्ताह पूर्व ही इसकी रेलिंग व पैदल चलने वाले रास्ते की खराब हालत को देखते हुए बैरिकेटिंग कर दिया था। अन्यथा कोई बड़ा हादसा होने की अंदेशा थी। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 2021 में शासनादेश जारी कर उन पुलों क ी रिपोर्ट जिनका निर्माण 70 से 80 के दशक के बीच बने थे उन पुलों की जांच के निर्देश दिए थे। जिनमें जौनपुर का यह पुल शामिल था। इस शास्त्री पुल का शिलान्यास चार जनवरी 1977 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की मौजूदगी में संजय गांधी ने किया था। उसी साल यह पुल बन भी गया। शास्त्री पुल की रेलिंग बीते दो वर्षों से काफी क्षतिग्रस्त हो गई थी। वर्ष 2021 में सेतु निगम के सहायक अभियंता सोवर सिंह के साथ आई इंजीनियरों की टीम एमबीआईयू (मोबाइल ब्रिाज इंस्पेक्शन यूनिट) लेकर पुल पर पहुंची। गाड़ी में लगी लिफ्ट के सहारे इंजीनियरों की टीम ने पुलि के निचले हिस्से में ड्रिल करके कंकरीट और मिट्टी के नमूने कई स्थानों से लिए थे लेकिन सभी को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया जिसका नतीजा ये हुआ कि रेलिंग का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गुरूवार की रात गोमती नदी में गिर गया। ऐसी हालत में इस पुल से गुजरने वाले लोगों की जान का खतरा लगातार बना हुआ है। सेतु निगम ने इसके लिए शासन को पिछले वर्ष ही प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था। जिसमें अनुमान लगाया गया है कि पांच करोड़ रूपये पुल की रिपेयरिंग में खर्च आएगा। लगभग 45 साल बाद आज पुल की रेलिंग टूटने से भयावह बनी हुई है। फुटपाथ भी कई जगह से टूट चुका है। ज्वाइंट खुल गए है। पुल के उपर चलने में लोगों को अब डर सताने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस ऐतिहासिक पुल की मरम्मत का कार्य क्यों नहीं अब तक पूरा हो सका।
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