रामलीला में मंचन करते कलाकार। |
नया सवेरा नेटवर्क
संजीवनी लेने व कालनेमी, मेघनाथ के वध का हुआ मंचन
मीरगंज,जौनपर। विकास खंड मछलीशहर के बामी गांव में रामलीला मंचन के दौरान लक्ष्मण के मूर्क्षित होने पर राम विलाप को सुनकर दशर््ाकों की आंखें छलक आई। इससे पूर्व अंगद द्वारा रावण से सन्धि वार्ता विफल हो जाने पर राम जामवंत सेना को चार खण्डों में बांटकर लंका पर चौतरफा हमला करने को कहते हैं। वानर भालू रावण की राजधानी पर टूट पड़ते हैं। निशाचर और बन्दरों के बीच भीषण मार काट होती है। राक्षसों को बन्दर भालू मारकर भगा देते हैं। दूसरे दिन राक्षस मेघनाद को लेकर आते हैं इस बार बन्दर मेघनाद के प्रहारों से भागने लगते हैं। वे अपने साथ लक्ष्मण को लेकर आते हैं। मेघनाद और लक्ष्मण के बीच लम्बा संवाद चलता है अन्त में भीषण युद्ध होता है। मेघनाद ब्राह्मास्त्र चलाता है ब्राह्म के सम्मान में लक्ष्मण वार सहते हैं और मूर्क्षित होकर गिर जाते हैं। बन्दर उन्हें युद्ध स्थल से निकालकर राम के पास ले जाते हैं। जहां लक्ष्मण की यह दशा देखकर राम विलाप करने लगते हैं। विभीषण के कहने पर हनुमान सुषेण वैद्य को लंका से लाते हैं। उनके बताने पर संजीवनी बूटी लाने को हनुमान निकल पड़ते हैं। हनुमान संजीवनी लेने द्रोणागिरी पर्वत की ओर निकल पड़ते हैं। रावण कालनेमी को उनका रास्ता रोकने को भेजता है। कालनेमी मारा जाता है। संजीवनी लेकर आते समय भरत हनुमान को आसमान में उड़ता देखकर उन्हें कोई राक्षस धोखे से उन पर तीर चला देते हैं। हनुमान कराहते हुए जमीन पर गिर पड़ते हैं। बाद में भरत को अपने किये पर बहुत पछतावा होता है। हनुमान बिना बिलम्ब किये वहां से चल पड़ते हैं। इधर हनुमान को आने में देरी होने पर रामादल में व्याकुलता बढ़ती जाती है। हनुमान को आसमान में आता देख सभी प्रसन्न हो जाते हैं। संजीवनी देने पर लक्ष्मण मूर्छा को त्याग उठ खड़े होते हैं। दोनों भाई आपस में गले मिलते हैं। पूरे पंडाल में खुशी छा जाती है। राम हनुमान से कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इसके बाद कुम्भकरण और मेघनाद वध का मंचन होता है। रामलीला समाप्त होने पर ग्राम प्रधान श्रीमती सरोज सिंह की ओर से कुल 50 कलाकारों को पुरस्कृत किया गया।
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