डीएम को ज्ञापन देते मृतका के परिजन। |
नया सवेरा नेटवर्क
परिजनों ने डीएम से मिलकर निष्पक्ष जांच कराने की उठाई मांग
एक सप्ताह पूर्व नगर के एक निजी हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज
जौनपुर। नगर कोतवाली चौराहा निवासी सिद्धार्थ साहू व उनके परिजनों ने जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से शनिवार की सुबह कार्यालय में मिलकर अपनी इकलौती बेटी वंशिका साहू (12) की नगर के चिकित्सक द्वारा इलाज के दौरान लापरवाही के चलते मौत होने के मामले की निष्पक्ष जांच कराकर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। परिजनों का आरोप है कि 19 अक्टूबर को उनकी इकलौती बेटी वंशिका साहू को हल्के बुखार व पेट में दर्द होने की शिकायत हुई जिसपर अगले दिन 20 अक्टूबर को नगर के पॉलिटेक्निक रोड स्थित ओम सार्इं बाल चिकित्सालय में डॉक्टर अभिषेक मिश्रा को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें आ·ाासन देते हुए 5 दिन की दवा दिया लेकिन अगले दिन दवा खाने के बाद अंशिका के पेट में दर्द बढ़ता ही गया। दोबारा डॉक्टर अभिषेक मिश्रा को दिखाया तो उन्होंने पूरी जांच कराई और अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कर लिया। लेकिन सुधार होने के बजाय बच्ची की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती गई जिसपर हम लोगों ने उनसे किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घबराने की बात नहीं है मैं सब कंट्रोल कर लूगां। 23 अक्टूबर की सुबह तक मरीज का प्लेटलेट कम होता गया। डॉ अभिषेक मिश्रा ने दो यूनिट प्लेटलेट्स का इंतजाम करने को कहा। इस दौरान अंशिका दर्द से तड़प रही थी बोल रही थी कि उसका पैर हद से ज्यादा दर्द कर रहा है और लगातार नहाने की जिद करते हुए हॉस्पिटल बदलने को कह रही थी। 12 वर्षीय नन्ही सी जान को हार्ड इंजेक्शन लगाए जाने की वजह से उसका शरीर भीतर से जल रहा था। उसी दिन सुबह जब डॉक्टर अभिषेक मिश्रा राउंड पर आये तो परिजनों ने डॉक्टर से पुन: आग्रह किया कि वह उसे डिस्चार्ज कर कही और रिफर कर दें क्योंकि बेटी की तकलीफ बढ़ती है जा रही है परन्तु डॉ अभिषेक मिश्रा अपने सैकड़ों मरीज को देखने की जल्दी में दोबारा झूठा वि·ाास दिलासा देते हुए आ·ाासन दिया कि हम फिक्र ना करें लड़की बिल्कुल ठीक हो जाएगी और फिर कुछ इंजेक्शन लगवा कर चले गए। इस दौरान प्लेटलेट्स लेने के बाद जब मेरी बेटी दर्द और जलन से पागल हो चुकी थी। बिटिया की स्थिति काबू करने के चक्कर में उन्होंने उसे कई इंजेक्शन दिया जिससे कुछ ही देर बाद अंशिका के मुंह से झाग आने लगा और वह बोलने लगी पापा मेरे पैर पत्थर हो रहा है यह बात सुनते ही डॉ अभिषेक मिश्रा ने अपने कर्मचारीयो को तत्काल निर्देश दिया कि वह लड़की को इमरजेंसी रूम में शिफ्ट करें। जहां शिफ्ट करने के बाद मेरी बिटिया को डॉक्टर अभिषेक मिश्रा ने ऑक्सीजन पर रखा और चेकअप शुरू किया ओक्सीमीटर लगाने पर जब उन्हें पल्स नहीं मिल रही थी तो उन्होंने अपने स्टाफ को निर्देश दिया कि तुरंत इस बच्ची को एम्बुलेंस में सवार कर बनारस ले जाओ। आनन-फानन में परिजन एंबुलेंस में लेकर तुरंत निकले क्योंकि वह उस वक्त चिल्ला रही थी और मौत से लड़ रही थी इस उम्मीद से हम तुरंत वहां से निकले और उसे डॉक्टर अभिषेक मिश्रा ने न ही डिस्चार्ज लेटर दिया न ही रेफर लेटर। बच्ची को लेकर बनारस गैलेक्सी हॉस्पिटल पहुंचे वहां पहुंचने के उपरांत गैलेक्सी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बच्ची की जांच की और कहा कि बच्ची की मौत हो गई है। परिजनों का कहना है कि मेरी पुत्री वंशिका साहू अब कभी वापस नहीं आने वाली है इसलिए हम चाहते है की भविष्य में कोई भी मरीज डॉ अभिषेक मिश्रा के गलत इलाज और लापरवाही का शिकार ना हो इसलिए मामले की पूरी निष्पक्ष जांच कराकर कड़ी कार्रवाई की जाये। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने भी पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही।
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