स्व.स्वामीनाथ पांडेय। |
नया सवेरा नेटवर्क
साहित्यकार के पैत्रिक आवास पर लोगों ने किया उन्हें याद
चंदवक,जौनपुर। हिंदी साहित्य को अपनी लेखनी से समृद्ध करने वाले जनपद के स्मृतिशेष कवि एवं साहित्यकार स्वामीनाथ पाण्डेय को उनकी 5वीं पूण्यतिथि पर याद किया गया। उनके पैतृक आवास डोभी के हरिहरपुर में स्थित साहित्य साकेत सेवा संस्थान पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में आए अतिथियों के साथ पारिवारिक सदस्यों ने पुष्प अर्पित कर उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। काशी के वरिष्ठ समीक्षक डॉ. इंदीवर ने कहा कि स्वामीनाथ पाण्डेय लेखन की एक विशिष्ट यात्रा पूरी किये। उनके जीवन का सहज सफरनामा, हिंदी साहित्य के प्रति उनके उत्कट अनुराग को दशर््ााता है। साहित्यिक दलबंदीयों और शिविरों से मुक्त रहकर प्रचार और आत्मज्ञापन से दूर श्री पाण्डेय वीणा वादिनि के साधक थे। पत्रकारिता से लेखन प्रारंभ करने वाले श्री पाण्डेय काशी से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक तरंग के सह संपादक तथा दैनिक आज में पूर्वी क्षेत्र का पूरक पृष्ट के स्तंभकार के रूप में प्रसिद्ध थे। पत्रकारिता जगत में आप द्वारा दी गयी सेवा अविस्मरणीय है। काशी विद्यापीठ के पूर्व प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने दिवंगत कवि के कृतित्व की चर्चा करते हुये कहा कि श्री पाण्डेय कि रचनायें राष्ट्रीय एवं सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत रही। समाज की गहरी संवेदना को अपनी लेखनी में समेटकर उन्होंने साहित्य जगत में नये कीर्तिमान स्थापित किये। श्री पाण्डेय को नवगीत में आंचलिकता के प्रक्षेपण को स्थापित करने की विशिष्टता ने उन्हें प्रतिष्ठित नवगीतकार बना दिया। सेंट्रल एकैडमी म.प्र.के निदेशक डा. चार्ल्स विजेडियन डेविड ने कहा कि गोमती, प्राची, अंतराल, मधुबेला, भटके वि·ाासों के स्वर,वि·ाविकंपन, काव्य रचना हैं। तो रणरंगीनी सम्पादित ग्रंथ है। अघोर पुरु ष, राधा मन बूडत बिनु पानी, भूतो का खंडहर उपन्यास है,जिनका साहित्य जगत में विशेष स्थान है । 19 अगस्त 1930 को जनपद की माटी में पैदा हुआ साहित्य का यह पहरु आ 27 अक्टूबर 2017 को स्मृतिशेष हो गया। किंतु उनका लेखन आने वाली पीढि़यों को भी प्रेरणा देता रहेगा। इस अवसर पर उनकी पत्नी राधा पाण्डेय के साथ श्रीवर पाण्डेय, जयति पाण्डेय, जीतेंद्र पाण्डेय, शचींद्र, शरद, राकेंदु, मनु, प्रतीक, शशांक,प्रतिभा,नीलम,सुषमा,उपमा,पूनम सहित संस्था के सदस्यों ने स्वामीनाथ पाण्डेय के चित्र पर माल्यार्पण किया। साहित्य साकेत संस्था के प्रबंधक वारीन्द्र पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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