नया सवेरा नेटवर्कजिस तरह से आज विश्व के देशों में उथल पुथल मची है|वह चिंता का विषय है|कहीं दो देश लड़ रहे हैं तो कही आतंकी संगठन कोहराम मचाये हुए हैं|तो कहीं जनता ही सरकारों का तख्तापलट कर रही हैं|रूस युक्रेन युद्ध,अफगानिस्तान पर तालिबानियों का कब्जा,हमास हिजबुल व हूती आतंकियों द्वारा इजराइल पर साझा हमला,सिरिया में आतंकियों का तांडव,श्रीलंका में उपद्रवियों द्वारा तख्तापलट,बांग्लादेश में उपद्रवियों द्वारा तख्तापलट और हिन्दुओं को चुन चुन कर मारना,महिलाओं संग पशुवत व्यवहार,हिन्दुओं की सम्पत्तियों का नुकसान करना,पाकिस्तान की बात ही छोड़िये,वह कब फट जाय कुछ कहा नहीं जा सकता,काश्मीर में पुनः आतंकियों का शिर उठाना,और सम्भल में जिस तरह से उपद्रवियों ने सरकारी काम में बधा उत्पन्न की है|वह यह बताने के लिए काफी है कि भारत भी ज्वालामुखी के मुहाने पर ही खड़ा है|
जिस तरह से सम्भल की घटना के बाद देश विरोधी पार्टियों की गतिविधियाँ चल रही हैं,वह इशारा कर रही हैं कि समय रहते इनकी विशेष छानबीन की जाय,और विघटनकारी शक्तियों से शक्ती के साथ निपटा जाय|नहीं तो इजराइल तो सम्हल ले रहा है|क्योंकि वहाँ का विपक्ष देश के साथ है|इसी लिए एक छोटा सा देश तीन तीन मोर्चे सम्हाले हुए है|मगर भारत नहीं सम्हल पायेगा|क्योंकि यहाँ की 90% राजनीतिक पार्टियाँ तो चाह ही रही हैं कि बंग्लादेश जैसे यहाँ भी तख्तापलट करवाया जाय|इसके लिए गुपचुप मिटिंगे लगातार हो रही हैं|
जिस तरह से देशविरोधी व आतंकी समर्थित पार्टियाँ सरकारी काम में बाधा डालने के लिए सम्भल जानने के लिए उतावली हो रही हैं,वो यह बताने के लिए काफी है कि यहाँ भी साजिश अंदरखाने चल रही है|कुछ विदेशी ताकतों के साथ मिलकर हमारे देश का विपक्ष उन्मादी ताकतों को धन बल और अस्त्र शस्त्र उपलब्ध कराने के लिए दिन रात लगा है|हमारे देश का विपक्ष सिर्फ सिंहासन पाने लिए वो हर कर्म कर यहा है,जो देश को गर्त ले जाये|इसके लिए हमारे देश का विपक्ष सदैव आतंकियों और उनके आकाओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रहा है|लेकिन वो यह भूल रहा है कि जिसे वह सहारा देकर खड़ा कर रहा है,वह एक दिन बेसहारा करके अफगानिस्तान की तरह खुद सत्ता के सिंहासन पर होगा|और तुमको अपनी जूती बना लेगा|
जिस तरह की गतिविधियाँ आज विश्व में चल रही हैं,वह बेफिक्र रहने के लिए तो कत्तई नहीं हैं|इस्लामिक देश और संगठन दोनों की नीतियाँ परोक्ष और अपरोक्ष दोनो तरह से विघटनकारी दमनकारी और विस्तारवादी हैं|वो इस्लाम के विस्तार के लिए पूरी तरह कटिबद्ध हैं|इस बात को भारत यदि समझ के भी न समझने का श्वांग रच रहा है तो,वह बहुत ही भारी पड़ेगा|बंग्लादेश के सत्तानसीन को तो भारत सेफजोन मिल गया|सोंचो जरा बर्तमान भारतीय सत्तानसीन के तो सभी दुश्मन हैं|देश में भी और विदेश में भी|सभी तो इसी ताक में टकटकी लगाये बैठे हैं कि कब भारत में बांग्लादेश जैसी स्थित बने और कब बर्तमान सत्तासीन का शर तन से जुदा करके भारत की सत्ता पर काबिज हों|विदेशियों से अधिक यहाँ की देशविरोधी राजनीतिक पार्टियाँ इस ताक में बैठी ही नहीं,देशविरोधी ताकतों के साथ मिलकर शिद्दत से लगी भी हैं|जिसका सबसे ताजा तरीन उदाहरण सम्भल है|जिस तरह से सपा और कांग्रेस आदि देशविरोधी पार्टियों के दंगाइयों के समर्थन व देश की संवैधानिक संस्थानो के विषय में बयान आ रहे हैं,वह शुभ संकेत नहीं हैं|ये उपरोक्त पार्टियाँ उस कहावत को पूरी निष्ठा से चरितार्थ कर रही हैं" अपना काम बनता,भाड़ में जाये देश और देश की जनता"|
इसलिए देशविरोधी ताकतों पर निःसंकोच अंकुश लगाने की नितांत आवश्यकता है|ये देशविरोधी ताकते देश के उत्थान में सदैव रोड़ा बन रही हैं|नकली किसानों को सड़क पर उतारकर विगत एक वर्षों से देश का नुकसान करवा रही हैं|देश की उन्नति में कारगर विधानों का विरोध करवा के देश को पीछे ढकेल रही हैं|इसलिए कहना पड़ रहा है कि अधिक मौन कहीं भारी न पड़ जाय|हमारे शास्त्रों का सूत्र है "अति सर्वत्र वर्जयेत"|
इसी को रहीमदास जी ने इस तरह कहा है,
" अति का भला न बरसना,अति की भली न धूप|
अति का भला न बोलना,अति का भला न चूप||
जिस तरह से आज बंग्लादेश में चुन चुन कर हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा है|और भारत में हिन्दुओं की रक्षक होने का ढिढोरा पीटने वाली सरकार होने का दावा रने वाली सरकार का कुछ न करना|केवल नजर लगाये रखना पीड़ादायक और असहनीय है|किस बात का इंतजार कर रही है|क्या बंग्लादेश के सभी हिन्दुओं के सफाये का|सभी माँ बहनों की दुर्गति का|या कुछ और ही कारण है जो भारत सरकार मौन साधे हुए है|कुछ करने की बजाय सिर्फ नजर गड़ाये हैं|आज बांग्लादेश की हालत देखकर हमारे शहीदों की आत्मा चित्कार रही होगी|सोंच रही होगी कि क्या इन मासूमों की बर्बर बलि लेने के लिए ही हम शहीद हुए थे|भारत को सोंचना होगा|जिस तरह से डीप स्टेट भारत को उजाड़ने में शिद्दत से लगे हैं|उसका जवाब नजर गड़ाके नहीं दिया जा सकता|न मौन रहके|यह मौन भारत पर बहुत भारी पड़ सकता है|
पं.जमदग्निपुरी
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