|
भागवत कथा सुनाते कथा वाचक व्यस धर्मराज तिवारी। |
नया सवेरा नेटवर्क
सिकरारा,जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सकरारामपुर में श्री मदभागवत कथा का आयोजन किया गया जिसमे कथा के छठें दिन द्रौपदी चीर हरण का प्रसंग चला। जिसमे कथा वाचक व्यास धर्मराज तिवारी के मुखारबिंदु से श्री कृष्ण के जीवन चरित्र पर भक्ति समर्पण का प्रसंग किया गया। जिसमें कथा के अनुसार जिस समय द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था उस समय द्रोपति सभा में उपस्थित सभी वीर व महावीरो से वह अपने परिवार जनों से लाज बचाने की भीख मांगती रही लेकिन उसके लज्जा को बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया अंतत: द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को याद करके रोने लगी की हे दीनानाथ आप जगत की लाज बचाते हैं मेरी ही लाज आपके हाथों में हैं इतना पुकार सुनते ही भगवान सभा में पहुंचकर चीर बढ़ाते हुए लाज को बचाएं परंतु जब वापस अपने घर गए तो उनकी पत्नी ने कहा आप तो सब जानते थे चीरहरण से पहले ही आप मौके पर पहुंच गए होते तो द्रोपति के साथ यह दुर्व्यवहार नहीं होता इस प्रश्न के उत्तर पर भगवान ने कहा जो मुझे ह्मदय से एक भी बार पुकार उसके मुख से शब्द पूरा नहीं होता मैं उससे पहले पहुंच जाता हूं जिसका तात्पर्य यह है कि पूर्ण रूप से भगवान पर समर्पित होने वाले की लज्जा कभी नहीं जाती। कथा में इस बात का वर्णन हुआ कि श्रीमद् भागवत कथा में भक्ति मोक्ष, त्याग, तपस्या, समर्पण, का समागम है। मौके पर सैकड़ों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे और द्रोपदी प्रसंग पर द्रवित हो गए। कथा का आयोजन लालता प्रसाद पाण्डेय ने किया। इस मौके पर अतुल कुमार पांडेय, गिरिजेश मिश्रा, अजीत , बाल कृष्ण, तमाम भक्त मौजूद रहे।
|
Ad
|
|
Ad |
|
Ad
|
0 टिप्पणियाँ