शीर्षक- मनभावन सावन | #NayaSaberaNetwork
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शीर्षक- मनभावन सावन
घिर आई कारी बदरिया
धरती की धानी चुनरिया
झूम-झूम इठलाए
ख़ुश होकर बलखाए
लहराए पिया संग गोरिया।
हो आया सावन सुहावन।
देख-देख काली घटा
मन-मयूर नाचे,बरखा की
बूंदों को अंग-अंग बांचे
प्रीत के रंग में रंग ले चुनरिया
हो आया सावन सुहावन।
महके कनैर और गुलाब
खूब महके, खूब खिले गुलमोहर
पलाश खूब लहके।
झूले पड़े बागों में लहक उठी
अमवा की डरिया, हो आया
सावन सुहावन।
पीहू पीहू बोले पपीहा
मेयो मेयो करे मोर।
पवन झकोरा उठे रिमझिम
फुहार संग, कुहू कुहू गाए
कोयलिया, हो आया सावन सुहावन।
बड़ा मनभावन है,सावन सुहावन है
सुंदर सुगंधित यह सुरसरि सा
पावन है।
खूब जयकारा लगे, भक्तों के
भाग जगे। हर हर बम बम से
गूंज उठी भोले की नगरिया।
हो आया सावन सुहावन।
प्रभु से अरज है एक
हम सब बनें नेक, प्रेम सद्भाव बढ़े
सूख जाए नफरत का दरिया
हो आया सावन सुहावन।
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