दिव्यांगों के आवागमन उपकरणों पर जीएसटी लगना गंभीर मुद्दाः न्यायालय | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिव्यांगों के इस्तेमाल वाले आवागमन साधनों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने को गंभीर मुद्दा बताते हुए शुक्रवार को कहा कि यह व्यापक जनहित से जुड़ा मसला है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि दिव्यांगों के चलने-फिरने में मददगार उपकरणों पर जीएसटी लगाए जाने का मामला गंभीर है।
इसके साथ ही अन्य चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी के मुद्दे से भी निपटना होगा। याचिकाकर्ता के वकील जय देहदरई ने न्यायालय को बताया कि यह मामला पहले 26 अक्टूबर, 2020 को सूचीबद्ध हुआ था लेकिन इस मामले में मंत्रालय के समक्ष पक्ष रखने की अनुमति दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि पक्ष रखने के बावजूद व्हीलचेयर जैसे उपकरणों पर अब भी जीएसटी लग रहा है। उन्होंने दिव्यांगों के लिए मददगार साधनों पर जीएसटी लगाए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा, किसी भी सक्षम व्यक्ति को पैदल चलने के लिए कोई कर नहीं देना होता है।
इस पर पीठ ने कहा, हम इसे गंभीर मामला मानते हैं और यह व्यापक सार्वजनिक हित से जुड़ा मसला है। आपकी बात में दम है।... समस्या यह है कि हम नीतिगत बंधनों को किस तरह तोड़ सकते हैं। इसके अलावा हमें अन्य चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी के मुद्दे से भी निपटना पड़ सकता है। पीठ ने मामले की सुनवाई 14 सितंबर के लिए मुकर्रर की। इस मामले में न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से भी मदद मांगी थी। वेणुगोपाल ने याचिकाकर्ताओं को जीएसटी परिषद के समक्ष पक्ष रखने का सुझाव दिया था।
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