भारत में मिला मंकीपोक्स का पहला केस | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
भारत के केरल में मंकीपोक्स का पहला मामला सामने आया है। केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने न्यूज एजेंसी एनआई को बताया कि कुछ दिन पहले ही शख्स यूएई से वापस भारत लौटा था और वहां से आने के बाद ही उसके अंदर मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने लगे। जब पीड़ित शख्स ने अपना टेस्ट कराया तो वो मंकीपोक्स पॉजिटिव पाया गया। शख्स के साथ जो भी सपंर्क में रहा उसकी भी जांच की जा रही है। इसमें शख्स के माता-पिता, एक टैक्सी चालक, एक ऑटो चालक और बगल की सीटों के 11 साथी यात्री शामिल हैं।
मामला सामने आने के बाद से ही केन्द्र सरकार ने राज्य की सहायता के लिए एक टीम केरल रवाना कर दी है। इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के विशेषज्ञ शामिल हैं। बता दें कि केन्द्र सरकार मई से ही सभी राज्यों को सावधानी बरतने के निर्देश दे रही है।
मंकीपोक्स एक वायरस है जो बुखार के लक्षण से शुरू होता है। इसमें शरीर पर चकत्ते से बनने लगते है। यह दो प्रकार के होते है, पहला तो कांगो स्ट्रेन, जो अधिक गंभीर होता है। इसमें 10 प्रतिशत तक मरीजों की मौत हो जाती है। दूसरा पश्चिम अफ्रीकी नस्ल, जिसकी मृत्यु दर लगभग 1 प्रतिशत है।यह चेहरे पर, मुंह के अंदर और शरीर के अन्य हिस्सों जैसे हाथ, पैर, छाती, जननांग या गुदा पर दिखाई देने वाले फुंसी या फफोले जैसा दिख सकता है। दाने पूरी तरह से ठीक होने से पहले विभिन्न चरणों से गुजरते हैं। बीमारी आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक चलती है। इसके मामले सबसे ज्यादा इस समय अफ्रीका के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में आए हुए है।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने भी एक बैठक की थी जिसमें मंकीपोक्स को लेकर चिंता जताई थी। डब्ल्यूएचओ (WHO) के महानिदेशक इस बीमारी को लेकर आईएचआर आपातकालीन समिति द्वारा दी गई सलाह से सहमत नज़र आ रहे हैं। ऐसे में फिलहाल मंकीपाक्स अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय नहीं है। हालांकि, टेड्रोस एडनाम घेब्येयियस ने कहा कि मंकीपाक्स वायरस के आगे प्रसार को रोकने के लिए फौरन हरकत में आने की जरूरत है।
No comments