छेड़खानी का विरोध करना पड़ा महंगा, पिता-पुत्री को दबंगों ने जमकर पीटा | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
शिकायत करने पहुंचे पिता-पुत्री को कोतवाली पुलिस उल्टे कर दी चालान
जौनपुर। शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के मोहल्ला तारापुर बदलापुर पड़ाव पर छेड़खानी का विरोध करने पर पीटा और किशोरी को दबंगों ने सरेआम पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। फरियाद लेकर कोतवाली गई किशोरी और उसके पिता का मुकदमा दर्ज करने के बजाए कोतवाली पुलिस ने शांतिभंग में पिता पुत्री की चालान कर दिया। अजीब बात है। जैसे ही वह पिता-पुत्री जमानत कराकर घर वापस रोते हुए पहुंचे कि दबंग उन पर कहर बनकर टूट पड़े और इतना पीटे कि दोनों जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार मुनव्वर उर्फ मुन्ना शाह का अपने सालों से पुराना विवाद चल रहा है। इसी विवाद में एक पक्ष ने मुनव्वर की पुत्री को छेड़ दिया और अश्लील बात करने लगा जिसका विरोध किशोरी और पिता ने किया। अब क्या पूछना था कि 3 लोग एक राय होकर पिता-पुत्री को लाठी डंडे से पीट दिये। हमलावरों की पिटाई से घायल पिता-पुत्री कोतवाली पहुंचे जहां पता नहीं पुलिस को क्या हो गया कि उसने इनकी प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय दोनों का शांति भंग में चालान कर दी। कचहरी से जमानत कराकर आटो रिक्शा से ओलन्दगंज पहुंचकर पुलिस चौकी पर सूचना दिये कि हमलावर उसे चारों तरफ से घेरे हुए हैं और उनके साथ कोई अपनी घटना घटित हो सकती है। इस पर पुलिस ने उन्हें तसल्ली देते हुए घर भेज दिया। आटो से अपने घर के पास पहुंचे कि उसी समय हमलावरों ने सरेआम पिता-पुत्री पर धावा बोल दिया और इतना पीटा कि दोनों मरणासन्न हो गये। जैसे ही इस घटना की जानकारी सरायपुख्ता पुलिस को लगी तो बड़ी संख्या में पुलिस के जवान मौके पर पहुंच गये। पुलिस को देखकर हमलावर इधर-उधर लोगों के मकानों में छिप गये जिन्हें निकालने के लिए पुलिस को कड़ी कार्रवाई भी करनी पड़ी। पुलिस को कार्रवाई करने के दौरान कई अड़चनें भी आई। सरायपुख्ता पुलिस दोनों घायलों को जिला अस्पताल ले गई जहां उनका चिकित्सकीय परीक्षण एवं उपचार कराया गया। चिकित्सक द्वारा गंभीर रूप से घायल पिता-पुत्री को जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया जहां उपचार चल रहा है। इस घटना में पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ धारा 323, 504, 506 आईपीसी के तहत मामला पंजीकृत कर लिया है लेकिन जिस तरह से दोनों को पीटा गया, उस तरह से पुलिस ने मामला पंजीकृत नहीं किया है जिससे आरोपियों का हौसला और बुलंद हो गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि पहली बार हमलावरों के हमले से घायल पिता-पुत्री जब न्याय मांगने गये तो उनका शांति भंग में चालान करना अपने में एक चर्चा का विषय बना हुआ है कि पुलिस को ऐसी आखिर क्या सूझी कि पीड़ित का ही उसे चालान करना पड़ा।
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