क्षय रोग उपचार में मददगार बनी ठाकुरबाड़ी कल्याण समिति | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
गरीब परिवारों को उपचार के लिए समिति पहुंचाती है स्वास्थ्य केंद्र
बदलापुर,जौनपुर। क्षेत्र के सिंगरामऊ में डेजिग्नेटेड माइक्रोस्कोपिक सेंटर के माध्यम से तथा बाद में गैर सरकारी संस्था के रूप में समिति ने क्षय रोगियों की सेवा की। ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति के सहयोग से ज्यादातर गरीब परिवारों ने इलाज कराया। इस दौरान बने रिश्ते का लाभार्थियों ने भरपूर उपयोग किया। सिंगरामऊ की गुलनाज (35) की 17 वर्ष पहले और रूबीना (38) की 12 साल पहले समिति के ही डीएमसी पर बलगम की जांच हुई जिसमें क्षयरोग की पुष्टि हुई। डीएमसी से हुई दवा से ही वह ठीक हुर्इं। इलाज के दौरान ही समिति के लोगों से उनकी आत्मीयता बनी और केंद्र सरकार के हस्तशिल्प विभाग से जोड़कर उनका शिल्पी कार्ड बनवाया गया। सिंगरामऊ की प्रज्ञा मौर्या (25) को तीन साल पहले और पूर्णिमा मौर्या (19) को सालभर पहले क्षयरोग हुआ। समिति के सहयोग से उनका इलाज चला और इलाज में एक पैसा खर्च नहीं हुआ। हर महीने 500 रु पये पोषण के लिये मिले। पोषण किट में मिले काजू-बादाम आदि सामानों ने उनके पोषण में मदद की। वह स्वस्थ हुर्इं तो समिति ने ही कम्प्यूटर कोर्स, सिलाई-कढ़ाई और जरी-जरदोजी का काम सिखाया। अब वह खुद से ही परीक्षा संबंधी फार्म आनलाइन भर लेती हैं। अपना कपड़ा खुद से सिल लेती हैं। उसपर कढ़ाई कर लेती हैं। पास-पड़ोस के लोगों से भी सिलाई का आर्डर लेती हैं और उसके पैसे से अपनी फीस भर लेती हैं और किसी भी परीक्षा के लिए भरने वाले फार्म के लिए घर से पैसे नहीं लेती हैं। रामगंज के पास गंजा निवासी शारदा (30) तथा उनके पति कल्लो (30) विकलांग हैं। पांच वर्ष पहले उनका यहां से इलाज हुआ। महिला विकास कल्याण समिति ने ही उनका विकलांग का सर्टिफिकेट बनवाया। अधिकारियों से सम्पर्क कर उनकी आर्थिक मदद करवाई। खानपान में मदद की तथा हर बार आने जाने का भाड़ा दिया।। बड़ी संख्या में लोग ठाकुर बाड़ी महिला विकास कल्याण समिति के सहयोग से क्षयरोग से पूरी तरह मुक्त हुए और समिति में ही प्रशिक्षण लेकर खुद की आर्थिक मदद करने में सक्षम हुर्इं। संस्था की अध्यक्ष अंजू सिंह बताती हैं कि 2004 से 2017 तक समिति डेजिग्नेटेड माइक्रोस्कोपिक सेंटर (डीएमसी) तथा ट्रीटमेंट एडहरेंस स्कीम के तहत ढाई से 3,000 के बीच संभावित क्षयरोगियों की जांच और उपचार में मदद कर चुकी है और वह स्वस्थ हो चुके हैं। 2018 से मार्च 2021 तक क्षअय प्रोग्राम के तहत 400 के लगभग क्षयरोगियों का इलाज कराया गया। संस्था जब क्षयरोग विभाग से नहीं जुड़ी थी तब भी क्षयरोगियों की जांच और इलाज कराने में मदद कर रही थी। क्षयरोग का इलाज कराने के बाद स्वस्थ हुए 200 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें खुद की आर्थिक मदद करने में सक्षम बनाया गया है। जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश सिंह ने कहा कि जनपद से क्षयरोग उन्मूलन में ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति ने बहुत योगदान दिया है। जनपद में 3,406 क्षयरोगी उपचाराधीन हैं। ऐसे 24 एनजीओ दवा और पोषण में उन्हें मददकर रहीं हैं। सहयोग के दौरान बने संबंधों के चलते लाभार्थी उनके माध्यम से चलने वाली अन्य योजनाओं का भी फायदा उठा रहे हैं। इस वर्ष जनपद में कुल 8,500 क्षयरोगियों की खोज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें अब तक 3,400 क्षयरोगियों की खोज की जा चुकी है। क्षयरोग उन्मूलन अभियान के जिला कार्यक्रम समन्वयक सलिल यादव कहते हैं कि विगत वर्षों में क्षयरोगियों की मृत्यु दर में गिरावट आई है। पहले मृत्यु दर पांच प्रतिशत थी जो अब घटकर चार प्रतिशत रह गई है। निक्षय पोषण योजना में क्षय उपचाराधीनों के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रु पये की धनराशि भेजे जाने की व्यवस्था है। इसके तहत 2021 में कुल 8,486 क्षय उपचाराधीनों को 1,74,55,00 रु पये तथा 2020 में 8,515 उपचाराधीनों को 2.10 करोड़ की धनराशि का वितरण किया गया। डीबीटी पोर्टल में कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते नवम्बर 2021 से डीबीटी स्कीम के माध्यम से भुगतान नहीं हो पा रहा था जो कि मई 2022 से पुन: संचालित हो गया है। वर्ष 2022 में डीबीटी के माध्यम से जून तक कुल 58 लाख रु पये क्षय रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत भुगतान किया जा चुका है।
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