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मधुर वाणी का ऐसा कमाल है
मधुर वाणी का ऐसा कमाल है
कड़वा बोलने वाले का
शहद भी नहीं बिकता
मीठा बोलने वाले की
मिर्ची भी बिक जाती है
वाणी उस कला का नाम है
भरपूर खुशबू फैलाना उसका काम है
अपने स्वभाव में ढाल के देखो
फिर तुम्हारा नाम ही नाम है
मधुर वाणी में मिठास की परछाई है
इस कला में अंधकारों में भी
भरपूर खुशहाली छाई है
स्वभाव की यह सच्ची कमाई है
मधुर वाणी में पराए भी अपने होते हैं
अटके काम पल भर में पूरे होते हैं
सुखी काया की नींव होते हैं
मानवता का प्रतीक होते हैं
लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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