धूमधाम से निकाली गई भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
- भगवान जगन्नाथ जी के रथ यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
- हरे कृष्णा हरे रामा के जया घोष से गूंज उठा का लुसाका
लुसाका/जाम्बिया
अफ्रीका के जाम्बिया देश की राजधानी लुसाका शहर में शनिवार को इस्कॉन जाम्बिया इंटरनेशनल सोसाइटी श्री कृष्णा कांशसनेस द्वारा भगवान जगन्नाथ जी की शोभा रथयात्रा निकाली गई। जिसमे भारतीय श्रद्धालुओं के अलावा विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हुए। कार्यक्रम में सर्व प्रथम भगवान जगन्नाथ का भक्ति भाव से स्वागत किया गया और उसके बाद प्रभु जगन्नाथ जी की मंगला आरती की गई और उपस्थित भक्त जनों ने प्रभु का गुणगान किया। भगवान को 56 भोग लगाया गया। उसके बाद लोगों ने भजन कीर्तन किया। वहीं पर इस्कॉन जाम्बिया के प्रभु श्री जय गोविन्द दास शर्मा जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि जो मंदिर नहीं जा पाते हैं उन पर कृपा करने के लिए भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकलते हैं। मानो वह भक्तों से मिलने आते हैं। उनकी झलक प्राप्त करने वालों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। भगवान अपने भक्तों की पीड़ा हरने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और कष्ट समाप्त करते हैं।
15 दिन का एकांतवास क्यों?
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है। इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि 108 घड़ों के ठंडे जल स्नान के कारण जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी तीनों बीमार हो जाते हैं। ऐसे में वे एकांतवास में चले जाते हैं और जब तक वे तीनों एकांतवास में रहेंगे तब मंदिर के कपाट नहीं खुलेंगे। एकांतवास से आने के बाद वे भक्तों को दर्शन देंगे।
स्नान और बीमार होने के बाद जब 15 दिनों के लिए जब भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा एकांतवास में रहेंगे, तो इस अवधि के दौरान भक्त देवताओं को नहीं देखा सकते। इस समय भक्तों के दर्शन के लिए उनकी छवि दिखाई जाती है। वहीं ठीक होने के बाद जब तीनों बाहर आते हैं तब भव्य यात्रा निकाली जाती है।
वहीं पर कार्यक्रम का रथयात्रा हरे कृष्णा हरे रामा मन्दिर बेनाकले रोड से निकाली गई जो मकिशी रोड से भ्रमण करते हुए ग्रेट ईस्ट रोड मेन हाईवे टोटल पेट्रोल पम्प के पास से पुनः मन्दिर परिसर तक पहुंचकर संपन्न हुई। रथयात्रा भ्रमण के दौरान श्रद्धालुओं के जय श्री कृष्णा, जय जगन्नाथ के जयकारों से पूरा लुसाका शहर भक्तिमय हो गया। तत्पश्चात सभी राहगीरों को भगवान जगन्नाथ जी का व्याख्यान करते हुए प्रसाद भी वितरण किया गया। विगत 6 वर्षों से रथयात्रा निकाली जाती है। वैश्विक महामारी के कारण 2 वर्ष के लिए रथ यात्रा का कार्यक्रम स्थगित रहा. 2 वर्षों के बाद सभी भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला भक्ति में दिखाई दिया पूरा लुसाका शहर. वही पर हम बदलेंगे युग बदलेगा हम सुधरेंगे युग सुधरेगा आदि का जयकारा भी लगाते रहे और हरे रामा हरे कृष्णा की धुन को सुनकर सभी विदेशी नागरिक झूमने लगे और गाने लगे।
रथयात्रा के सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए स्थानीय पुलिस, ट्रैफिक पुलिकर्मी एवं ड्रोम कैमरे के माध्यम से निगरानी की जा रही थी तथा प्राइवेट कंपनी के सिक्योरटी गार्ड भी मौके पर डटे रहे। जिससे रथयात्रा के कार्यक्रम को बहुत ही सुन्दर तरीके से सफतापूर्वक पूर्ण किया गया। रथयात्रा भ्रमण के दौरान भारत के कोने कोने से आकर यहां पर अपनी पहचान बनाने वाले और भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले सभी भारतीय पुरुष एवं महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विगत 25, 30 दिनों से लगातार रथ यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए थे लोग. और रथ यात्रा के दौरान सभी महिलाएं और पुरुषों में नित्य गायन करते हुए लंबी कतारों में लोग लगे रहे. और वहीं पर कुछ श्रद्धालुओं का कहना है कि कि मैं धन्य हो गया भगवान के इस रथयात्रा में शामिल होकर के पिछले कई वर्षों से बहुत सारे भक्त जांबिया में रथ यात्रा में शामिल होते हैं और विदेशी श्रद्धालु भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.
रथयात्रा भ्रमण समापन के बाद महाप्रसाद का भव्य आयोजन किया गया । जहां पर भारी संख्या में लोग उपस्थित हुए और भगवान श्री जगन्नाथ जी का महाप्रसाद ग्रहण किए. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री अतुल कृष्ण दास जी महाराज ने कहा कि परमात्मा को पाना है तो प्रेम ही एक ऐसा मार्ग है जो परमात्मा से मिलन करा सकता है भगवान जगन्नाथ प्रभु श्री हरि भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक हैं जो भी भगवान जगन्नाथ जी के रथ यात्रा में हाथ लगाता है या रथ को खींचता है या मान्यता है कि वह मोक्ष प्राप्त होता है और भारत का हर एक हिंदू चाहता है कि भगवान जगन्नाथ जी का दर्शन एक बार जरूर करे.
जगन्नाथ यात्रा का महत्व.
हिंदू धर्म में इस रथ यात्रा का विशेष महत्व है इस यात्रा में शामिल होने के लिए लोग सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी आते हैं। हिंदू धर्म में जगन्नाथ पुरी को मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस यात्रा में शामिल होता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के रथ को खींचते है उसे 100 यज्ञ करने के फल मिलता है। साथ ही इस यात्रा में शामिल होने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार, आषाढ़ मास से पुरी तीर्थ में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन करने जितना पुण्य मिलता है।
इन्हीं शब्दों के साथ उन्होंने हरे कृष्णा हरे रामा कहकर अपनी वाणी को विराम देते हुए कहा कि संस्कृत है भारतीय संस्कृति की पहचान।
व्यवस्थापक विपुल जाजाल, अजय तिवारी, आलोक दीक्षित, संजय शुक्ला, नचिकेत लिंबचिया,श्रीकांत शर्मा, कुंजबिहारी दवे, राजेश्वरी शर्मा,पूजा तिवारी, विकाश शर्मा,चेतन सिंह राजावत, राजकुमार गुप्ता,शान्ति, संजय धामनी, योगिता, शालिनी, अनिल पाठक, सूरज मौर्य,विनोद, अनामिका शर्मा,ममता शर्मा, हीना नाई, अभिषेक सिंह साउथ अफ्रीका से श्री नरसिम्हा प्रभु जी सहित सभी भक्त उपस्थित रहे।
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