गांव में बत्ती गुल तो शहर में लो वोल्टेज से हाहाकार | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
उमस और गर्मी के दरमियान जीवन जी रहे लोग
जौनपुर। प्रदेश की सरकार भले ही शहरों में चौबीस घंटे और गांव में 18 घंटे बिजली देने का ढिंढोरा पीट रही हो लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बिल्कुल इसके इतर हैं। गांव में जहां छह से आठ घंटे ही बिजली मिल पा रही है वहीं शहर में लो वोल्टेज की समस्या अपनी जड़ें जमा चुकी है। हालत यह है कि शहर से लेकर गांव तक हर आदमी बिजली की लुका छिपी और लो वोल्टेज को लेकर परेशान दिखाई पड़ रहा है। किसानों की हालत यह है कि मानसून में हो रही देरी जहां उनकी आशाएं धूमिल कर रही हैं वहीं बिजली विभाग रही सही उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेर रहा है। ग्रामीण इलाकों में डाली गई धान की नर्सरी बिजली के ठीक ढंग से न आने से बर्बादी के कगार पर खड़ी है। जिसके चलते किसानों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
गौरतलब हो कि प्रदेश की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में गांव को 18 से 20 घंटे और शहरी इलाकों में पूरे चौबीस घंटे बिजली देने का दावा करती आ रही है लेकिन शहर की हालत यह है कि चौबीस घंटे में अधिकांश समय लो वोल्टेज विद्युत सप्लाई हो रही है जिससे आम नागरिकों से लेकर दुकानदारों व व्यवसाईयों तक गर्मी से बेहाल नजर आ रहे हैं। एसी तो दूर की बात सही ढंग से पंखा और कूलर भी नहीं चल पा रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार बिल तो पूरी तरह वसूल रही है लेकिन बिजली इतनी लो वोल्टेज सप्लाई हा ेरही है कि उसका सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा है और इस उमस और गर्मी के दिनों में लोग पसीने से बेहाल नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बदतर दिखाई दे रहे हैं। यहां हालत यह है कि छह से आठ घंटे उन्हें बिजली मिल पा रही है। जिसके चलते आम जनमानस जहां गर्मी से हलाकान दिखाई दे रहा है वहीं किसान अपनी फसलों को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रकृति तो उन्हें मार झेलने पर मजबूर कर ही रही है बिजली विभाग उनकी रही सही उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। विदित हो कि इस समय ग्रामीण इलाक ों में मक्की के फसल की बुआई व धान की नर्सरी का समय चल रहा है। अधिकांश किसानों ने धान क ी नर्सरी डाल दी है लेकिन न तो बारिश हो रही है और न ही पर्याप्त बिजली मिल रही है जिससे वे अपने धान की लगाई गई नर्सरी को सींच सकें। जलाभाव में उनकी नर्सरी अब सूखने के कगार पर पहुंच रही है। दूसरी तरफ उन किसानों को भी मायूसी हाथ लग रही है जिन्होंने अपने खेत को मक्के के फसल के लिए तैयार किया है। ऐसे किसानों का कहना है कि यदि पर्याप्त बिजली मिल जाती तो वे अपने खेत की सिंचाई करके समय से मक्के की बुआई कर लेते। इस संबंध में विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ओवरलोड के चलते जगह जगह खराबियां आने से उन्हें विद्युत सप्लाई रोकनी पड़ती है जिससे ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
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