मानसून पहुंचने में हो रही देरी से टूट रही किसानो की आस | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
धान व मक्के की फसल पर ग्रहण लगने की सता रही चिंता
जौनपुर। जून का महीना अब एक सप्ता ही शेष रह गया है और मानूसन का अभी तक दूर दूर तक कोई पता नहीं है। मानसून के पहुंचने में हो रही इस देरी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे साफ नजर आने लगी हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर मानसून पहुंचने में और देर करता है तो उनकी आशाओं पर पानी फिर सकता है। धान और मक्का की फसल की बुआई मे न सिर्फ देर होने का खतरा बन रहा है बल्कि बारिश न होने से इन दोनों फसलों पर ग्रहण लगने का भी अंदेशा बढ़ रहा है। जिसके चलते अब किसानों की पेशानी पर बल पड़ने लगा है।
गौरतलब हो कि मौसम विभाग द्वारा शुरूआत में चौदह जून के बाद मानसून के पूरी तरह सक्रिय हो जाने के साथ ही भारी वर्षा का अनुमान लगाया गया था जिसके चलते किसानों द्वारा धान की फसल के लिए सबसे अधिक तैयारी भी की गई थी। किसानों का कहना है कि भारी वर्षा के बीच धान की ही एक ऐसी फसल होती है जिसे सही ढंग से उगाया जा सकता है और पैदावार भी अच्छी हो सकती है इसी के चलते किसानों ने अधिक से अधिक धान की नर्सरी भी डाल रखी थी। इधर मानसून में देरी होने लगी और हालात यहां तक पहुंच गये कि 22 जून गुजर जाने के बाद भी जिले में भारी वर्षा तो दूर की बात हल्की फुहारें भी अभी तक नहीं पड़ीं। जिसके चलते नर्सरी तो सूख ही रही है मक्के की फसल के लिए रही सही आस भी अब धूमिल होती नजर आ रही है। अब हालत यह है कि किसान रोज बारिश होने की दुआएं करते दिखाई पड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर हफ्ते भर में बारिश नहीं होती है तो उनकी रही सही आशाएं भी टूट सकती हैं।
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