14 जून को मनाया जाएगा कबीर प्राकट्य जन्मोत्सव, होगा भंडारा | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
बसेरवा का कबीर मठ संपूर्ण राष्ट्र को दे रहा निर्गुण ब्राम्ह का संदेश
कबीर पंथ के अनुयायियों में सभी धर्मों के लोग होते है शामिल
मीरगंज,जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जरौना-जंघई मार्ग पर बसेरवा स्थित करीब चार सौ कुटिया का मालिक कबीर विज्ञान आश्रम गद्दी बड़इया, निर्गुण ब्राम्ह के उपासको की तपोस्थली व अनुयायियों के करीब साढ़े तीन सौ वर्षों से धार्मिक आस्था व विश्वास का केंद्र बना हुआ है। यहां कबीर पंथ के अनुयायियों में हिन्दू, मुसलमान सहित अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होकर दीक्षा प्राप्त करते हैं। इस मठ का निर्माण करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व सर्वप्रथम आचार्य मदन ने किया था। ऐसा अनुयायियों का मानना है कि वह जिले के खरौना गांव में साधना अभ्यास कर सदगुरु कबीर साहब का आध्यात्मिक बोध प्राप्त कर वहां से चलकर दक्षिण की तरफ बढ़ते हुए बरुणा नदी के तट पर पहंुच रात होने पर जंगल में विश्राम के लिए रूक गए थे। जिसकी जानकारी गांव वालों को हुई तो जंगल मे पहंुच साहब को गांव में चलने के लिए प्रार्थना किया किन्तु वह नही माने और रात भर घने जंगल के बीच बरु णा नदी के तट पर आराम किया। जंगल के बीच मे अकेले संत को सुबह जब लोगो ने देखा तो उनके अंदर आस्था की धारा फ ूट पड़ी और सन्त के प्रति सेवाभाव जागृत हो गया। लोगों ने उनसे आग्रह किया कि इस दुर्जन स्थान में एक कुटिया बनाकर यहां रहिये। यही मठ के निर्माण का समय सिद्ध हुआ। यह करीब सन 1700 के आस पास में बताया गया। इसके बाद अनुयायियों का मानना है कि वह आचार्य गद्दी बड़इया की स्थापना कर कुछ दिन रहकर अपने शिष्य संत दुलम पति साहेब को कुटिया का भार सांैप कर बिहार के डुमरांव से होते हुए विचरण करते हुए आगे निकल गए। जिससे उनके अनुयायियों को उनके शरीर छूटने का कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिल। इस आश्रम पर पहंुचने के लिए रेलवे स्टेशन जंघई जंक्शन से जंघई-जौनपुर रेल प्रखण्ड पर स्थित जरौना से 5 किमी दक्षिण एवं वाराणसी- प्रतापगढ़ रेल प्रखण्ड पर स्थित सुरियावां स्टेशन से 9 किमी उत्तर अभिया बाजार से होते हुए आश्रम तक आना पड़ता है। आश्रम के दक्षिण तरफ एक बहुत बड़ा तालाब है जो इस समय जलाभाव के कारण सूखा पड़ा है। किंतु इसके बिषय में यहां के महंथ साधु शरण पति साहेब ने बताया कि कई वर्षो से बरसात अधिक मात्रा में नही हो रही है। जिसके कारण निजी मशीन से उतना जल नही भरा जा पा रहा है जितना तालाब में जरूरत है। महराज ने बताया कि ट्यूबेल से पानी भरा जाता था किन्तु कुछ लोगो द्वारा सरकारी नलकूप की नाली पर कब्जा जमा लिया गया। जिससे तालाब भर पाना असंभव हो गया हैं। आश्रम के आचार्य साधुशरण पति साहेब ने बताया कि कबीर विज्ञान आश्रम गद्दी बड़इया देश के विभिन्न प्रांतों मे स्थित करीब 400 से अधिक कुटिया का मालिक सिद्ध पीठ है। इस आश्रम से कबीर पंथ के अनुयायी देश के कोने-कोने में जाकर लोगो को अज्ञानता से दूर कर ज्ञान के मार्ग का रास्ता दिखाते है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 14 जून मंगलवार को को कबीर प्राकट्य के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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