स्त्री साधिका होती है बाधिका नहीं: संत तुलसीदास | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
जलालपुर,जौनपुर। कुटीर उपवन चक्के में भक्तमाल की चल रही कथा के विश्राम पड़ाव पर अयोध्या भागवत पीठ के आचार्य संत तुलसीदास स्वामी रामानंद पीपा दास तथा कबीर दास के भगवत भक्ति की पावन चर्चा करते हुए कहा कि कार्य संपादन में स्त्री साधिका होती है बाधिका नही। जहां भी रहे मन गोविंद में लगा रहे। सांसारिक भ्रांतियों को रेखांकित करते हुए संतश्री ने कहा कि आदमी होकर कहीं पशु तो नहीं बन रहे हैं साथ में कुछ जाने वाला नहीं है। भक्ति रस का पान कर परमार्थ पथ के भागी बने। आचार्य पितांबर पाण्डेय ने कहा कि ई·ार में परम भक्ति अनुरक्ति से ही मानव देवत्व को प्राप्त होता है। मंचस्थ संत का तिलकार्चन अभिनंदन करते हुए डॉ अजयेन्र्द कुमार दुबे ने कहा हम सभी का सौभाग्य है कि ई·ार की प्रेरणा और पूर्वजों की कृपा से कथा रसपान का लाभ सभी को मिल रहा है। भगवान के भक्तों का कीर्तन मात्र से ही मनुष्य के सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इस अवसर पर पंडित राम सुमेर मिश्र, पंडित श्रीभूषण मिश्र, ब्राह्मदेव दुबे, हरि नाथ तिवारी, भानु सिंह, कुंवरभारत सिंह, शिवानंद, ऋशे·ार चौबे ,मक्खन यादव, अशोक यादव, श्यामचंद्र दुबे, सुरेंद्र दुबे, कपिल देव, कृष्ण कुमार मिश्र,श्रीमती पुष्पा देवी, सुधा, शांति दुबे, नम्रता, माधुरी, चंदा, जीरा, सावित्री देवी सहित तमाम श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।
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