बाल अधिकार बाल श्रम व बाल दुव्र्यवहार की खिलाफत करता है:सचिव | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
विधिक साक्षरता जागरूकता शिविर का किया गया आयोजन
जौनपुर। उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के एक्शन प्लान 2022-23 के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मदन पाल सिंह की अनुमति से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम, लैंगिक समानता, बालकों के अधिकार, पाक्सो अधिनियम, शिक्षा का अधिकार एवं पशु क्रूरता एवं पशुओं की सुरक्षा विषयक पर सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती शिवानी रावत की अध्यक्षता में गुरूवार को जवाहर नवोदय विद्यालय मडि़याहॅूं में विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती शिवानी रावत विधिक जागरूकता शिविर को सम्बोधित करते हुए छात्रों को संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में बताया गया। जागरूकता शिविर में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अधिनियम के उद्देश्यों एवं सुरक्षात्मक प्रावधानों को बताया गया साथ ही साथ लैंगिक समानता बालकों के अधिकार जिसमें विशेषरूप से बालिकाओं को समान शिक्षा का अधिकार, पाक्सो अधिनियम के प्रावधानों के बारे में बताया गया। बाल अधिकारों की जानकारी प्रदान कराते हुए बताया कि बाल अधिकार बालश्रम और बाल दुर्व्यवहार की खिलाफत करता है जिससे वो अपने बचपन, जीवन और विकास के अधिकार को प्राप्त कर सकें। दुर्व्यवहार, गैर व्यापार और हिंसा के पीडि़त बनने के बजाय बच्चों की सुरक्षा और देखभाल होनी चाहिये उन्हे अच्छी शिक्षा, मनोरंजन, खुशी और सीख मिलनी चाहिये। वर्ष 2002 में संविधान के संशोधन द्वारा अनुच्छेद-21ए के भाग-3 द्वारा 6-14 आयु तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर तहसीलदार अमित कुमार त्रिपाठी ने कहा कि बाल अधिकार के तहत जीवन का अधिकार, पहचान, भोजन, पोषण और स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा और मनोरंजन, नाम और राष्ट्रीयता, परिवार और पारिवारिक पर्यावरण, उपेक्षा से सुरक्षा, बदसलूकी, दुर्व्यवहार, बच्चों का गैर-कानूनी व्यापार आदि शामिल है। तहसीलदार द्वारा तहसील स्तर से संचालित राज की योजनाओं एवं उनका लाभ प्राप्त करने के बावत विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।
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