भागवत सभी ग्रंथों का है सार:डॉ. श्रीनिवास | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
महराजगंज,जौनपुर। भागवत कथा सभी ग्रंथों का सार है जिसका सात दिन श्रवण कर लिया तो निश्चित रूप से आपके जीवन में कुछ न कुछ तो परिवर्तन अवश्य आयेगा। यदि आपके जीवन में परिवर्तन न आये तो समझें कथा श्रवण सही मनोयोग से नहीं किया गया केवल उपस्थिति दिखाई गयी है। मनुष्य को चाहिये कि श्रीमद्भागवत कथा में पहुंचकर अपने दोषों को अर्पित कर दे तो उसको अपने जीवन का महत्व समझ में आ जायेगा। उक्त बातें केवटली गांव में डॉ दीप नारायण मिश्र के यहां चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के विश्राम दिवस की कथा में कथा व्यास डॉ श्रीनिवास त्रिपाठी ने कही। उन्होंनेे कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में भगवान के विभिन्न अवतारों से लेकर कई मानव प्रसंगों से जुड़ी लीलाओं का अलग-अलग वर्णन हैं। कथा श्रोताओं को बताया कि मनुष्य को अपनी बुद्धि,धन और पद-प्रतिष्ठा का अभिमान कभी भी नहीं करना चाहिये जिस प्रकार ये आते हैं वैसे ही जाने में भी देर नहीं लगाते। हमें परमात्मा को खोजने की नहीं पहचानने की जरूरत है। जीवन में अहंकार आ जाये तो प्रभु की कृपा नहीं होती, जिसके जीवन में सत्संग आ जाए तो समझे प्रभु की कृपा मिल गई। धर्म ग्रंथों को घर में रख लेने से ही ज्ञान नहीं होता है। उसे जानने के लिये ग्रन्थों को पढ़ने के साथ सत्संग भी जरूरी है। कलयुग में भागवत ही सभी ग्रंथों का सार है। कोई भी व्यक्ति धन के माध्यम से भागवत कथा का लाभ नहीं अर्जित कर सकता जब तक प्रभु की कृपा न हो। हम सभी को प्रभु ने बुद्धि दिया है तो इसका विवेक से उपयोग करना चाहिये धन मिला है तो परोपकार में लगाना चाहिये पद मिली है तो सेवा में लगाना चाहिये। कथा के अंतिम दिन भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।
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