कविता | #NayaSaberaNetwork
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अनेकता में एकता हमारी शैली है
अनेकता में एकता हमारी शैली है
प्राकृतिक संपदा से भरपूर हरियाली है
श्रावण कुमार गुरु गोविंद सिंह महाराणा प्रताप
वीर शिवाजी अनेकों योद्धाओं की मां भारती है
भारतीय संस्कार अनमोल मोती है
नितिदिन मातापिता चरणस्पर्श से शुरुआत होती है
वंदन कर गुरु को नमन करते हैं
बड़ों की सेवा में आगे रहते हैं
संयुक्त परिवार की प्रथा कायम रखे हैं
अतिथियों को देव तुल्य मानकर सेवा करते हैं
सबको प्यार का पाठ पढ़ाते हैं
हम अपनी संस्कृति से प्यार करते हैं
लेखक - कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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