नारी के उत्थान के बिना समाज का विकास संभवन नहीं:पप्पू माली | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
भाजपा अनुसूचित मोर्चा ने मनाया ज्योतिबा फुले की जयंती
जिले में कई स्थानों पर धूमधाम से मनी ज्योतिबा फुले की जयंती
जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी के सामाजिक न्याय पखवाड़ा के अंतर्गत सोमवार को भाजपा अनुसुचित मोर्चा के कार्यकर्ता महात्मा जयोतिबा फुले का जयंती मना रही है। उसी कार्यक्रम के अंर्तगत भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जिलाध्यक्ष अजय सरोज की अध्यक्षता में महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती सुनहीता प्राथमिक विद्यालय पर मनाई गई। कार्यक्रम की शुरु आत महात्मा जयोतिबा फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई। उसके उपरांत उपस्थित छात्रों में फल वितरित किया गया जिसके बाद उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। जिलाध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा अजय सरोज ने उनके कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11अप्रैल 1827 में हुआ था। वह एक भारतीय समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरु द्ध थे। उन्होंने कहा कि उनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया। कहा कि 19 वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री-पुरु ष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दु:खी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री भारतीय जनता पार्टी सुजानगंज ब्राजभूषण दुबे ने किया। कार्यक्रम में लल्लू माली, विद्यालय के प्रधानाचार्य गौतम शुक्ला, राहुल जायसवाल, राहुल सरोज, मुनीलाल सरोज, बबलू गौतम, लल्लू माली, किशन सरोज, अंकित सरोज एव छात्र छात्राये उपस्थित रहे। उधर माली सैनी समाज के जिला कार्यालय वाजिदपुर में समाज सुधारक बापू ज्योतिबा राव फुले की जयंती समारोह के मौके पर अपना दल यस के राष्ट्रीय सचिव एवं माली सैनी समाज के प्रदेश संयोजक पप्पू माली ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। बतौर मुख्य अतिथि पप्पू माली ने कहा कि जिस महापुरु ष ने भारत में शूद्रों, अतिशूद्रों की गुलामी का मुख्य कारण शिक्षा से वंचित होना बताया और उन्हें शिक्षित करने के लिए ब्रााह्मणों और अन्य रूढि़वादियों के विरोध के बावजूद अनेकों स्कूल खोले और समाज में घूम घूम कर शिक्षा के महत्व को समझाया। जिस महापुरु ष ने लोगों को समझाया कि नारी उत्थान के बिना समाज का उत्थान नहीं हो सकता। जिस महापुरु ष ने कहा की विद्या के अभाव से मति नष्ट हुई। मति के अभाव से नीति नष्ट हुई। नीति के अभाव से गति नष्ट हुई। गति के अभाव से वित्त नष्ट हुआ। वित्त के अभाव से शूद्रों का पतन हुआ, इतना अनर्थ अकेले अविद्या ने किया, जिस महापुरु ष ने अपनी पत्नी को शिक्षित करके भारत की प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका और शूद्र समाज की पहली महिला समाज सेविका बनाया। जिस महापुरु ष ने ब्रााह्मणों के गढ़ पूना में रहकर ब्रााह्मण वादी पाखंड वाद और वर्चस्व वाद को चुनौती दी। जिस महापुरु ष ने गुलाम गिरी, किसान का कोड़ा, ब्रााह्मण शाही का भंडाफोड़ और अनेकों किताबें लिखकर ब्रााह्मणी ग्रंथों को षडयंत्र पूर्वक शूद्रों को गुलाम बनाने के लिए लिखी गई काल्पनिक कहानियां सिद्ध किया। जिस महापुरु ष ने सत्य शोधक समाज नाम का संगठन बनाकर पूरे समाज को ब्रााह्मण वाद के मकड़जाल से आजाद कराने का अभियान चलाया। जिस महापुरु ष ने बिना पंडित पुरोहित के वर वधू को अपने द्वारा रचित शपथ दिलाकर विवाह का प्रचलन शुरू किया और समाज में पुरोहित विहीन विवाह प्रथा को प्रोत्साहित किया। जिस महापुरु ष ने विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया एवं अवैध बच्चों के लिए अनाथालय खोला। जिस महापुरु ष ने छत्रपति शिवाजी की समाधि को ढूँढ़कर उन्हें शूद्रों का राजामनाने की शुरु आत करके ब्रााह्मणों द्वारा विलुप्त कर दिये गये छत्रपति शिवाजी की गौरव गाथा को पुनर्स्थापित किया। जिस महापुरु ष को बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने गौतम बुद्ध,संत कबीर की ही तरह अपना गुरू माना । जिन्होंने हिन्दू समाज की छोटी जातियों को उच्च वर्णियों के उनकी गुलामी की भावना के संबंध में जागृत किया, जिन्होंने विदेशी शासन से मुक्ति पाने से भी सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना अधिक महत्वपूर्ण है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उस आधुनिक भारत के महान शूद्र महात्मा ज्योतिबा फुले की समृति मंे सादर समर्पित। इस मौके पर उपस्थित प्रमोद माली, अशोक प्रधान, राम कुमार माली, संतोष सैनी, दिलीप वि·ाकर्मा, मनीष यादव,अनिल जायसवाल, शीतला सैनी, मनोज पटेल, राकेश पटेल, संजय मौर्य आदि लोग उपस्थित रहे। सरायख्वाजा संवाददाता के अनुसार जिले के पूर्वांचल वि·ाविद्यालय के समीप जासोपुर में मूल निवासी संघ के द्वारा सोमवार को ज्योतिबा फुले की जयंती के अवसर पर मूल निवासी मेला व मूल निवासी चेतना रैली का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने ज्योतिबा फुले के कृत्तव और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। साथ ही संकल्प लिया कि समाज के दबे कुचले लोग की आवाज को सरकार तक पहुंचाएंगे तथा सरकार से अपना हक मांगेंगे। मुख्य अतिथि डॉक्टर पूनम सोनकर ने कहा की ज्योतिबा फूले व उनकी धर्म पत्नी सावित्रीबाई फुले ने समाज में पिछड़े, अनुसूचित और दलित के उत्थान तथा बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए आंदोलन चलाया। इस मौके पर डॉ.कश्यप ने कहा कि मनुष्य के मन मस्तिष्क में जैसा विचार होता है वैसा ही उसका आचरण होता है अर्थात मनुष्य पर विचारधारा शासन करती है। अगर मनुष्य के मन और मस्तिक में विध्वंसक और असमानता वाली ब्रााह्मणवादी विचारधारा है तो वह विध्वंसक व्यवस्था को ही जन्म देगी। विशिष्ट अतिथि शेषनाग रविदास ने कहा भारत का संविधान तथागत बुध के दशर््ान अर्थात समता स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय संयुक्त सर्वमान्य मानवीय मूल्यों पर आधारित है। संचालन कर्ता अरविंद कुमार राव ने कहा की संविधान में निहित संवैधानिक मूल्य अर्थात मानवी मूल की प्राप्ति करना असंभव है। इसलिए इस देश में अगर संवैधानिक मूल्य प्राप्त करना है और उन मानवीय मूल्यों की व्यवस्था स्थापित करनी है तो शासन सत्ता और व्यवस्था में भी मानवीय मूल्यों पर आधारित फूले अंबेडकरी विचारधारा के लोगों को पहुंचाना तथा समाज भी फूले अंबेडकरी विचारधारा की समझ रखने वाला होना अति आवश्यक है। अध्यक्षता कर रहे डॉ ओमप्रकाश गौतम ने कहा की मूलनिवासी संघ की ओर से मूलनिवासी बहुजन समाज के सभी लोगों को और विशेष रूप से लेखकों कवियों कलाकार और रचनात्मक व्यक्तियों जो सांस्कृतिक और वैचारिक क्रांति के महत्व को समझ सकते हैं। ऐसे समय प्रतिभा और आर्थिक सहयोग करें। संचालन कर्ता एडवोकेट मनोज कुमार चौधरी ने कहा हम देश भर में हर साल मूलनिवासी मेलों का आयोजन करते हैं इन मेलों के माध्यम से हम मूलनिवासी बहुजन समाज के सभी वर्गों के बीच मूलनिवासी सभ्यता व कलाकार की स्थापना करना चाहते हैं। उमेश चंद गौतम ने कहा समाज की कुरीतियों को दूर करके समाज को संगठित करना होगा। समाज के बच्चों को उच्च शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर डॉ आनंद कुमार,सुरेश कुमार बौद्ध, रमेश चंद यादव, डॉ राजीव रतन मौर्य, अख्तर अली सुमित कुमार सुधीर कुमार लक्ष्मी राम,मुलायम सिंह यादव, शिवमूरत राम आदि लोग उपस्थित रहे।
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