मौन | #NayaSaberaNetwork
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मौन
हमने मिलकर दीप जलाए,
थालियाँ बजाई....
एक निश्चित समय पर,
घरों में अँधेरा रखा,
बत्तियाँ बुझाईं... पर....
एक साथ मिलकर
कभी कुछ देर के लिए
मौन नहीं रहे हम......
मौन......
क्रांति का संकेत होता है,
विस्फोट का प्रारंभिक चरण है...
मौन......
एक साधना है,
अंतर्मन में विचारों का प्रवाह है...
मौन की अपनी.....
एक अलग भाषा होती है,
स्वीकृति और अस्वीकृति की भी..
हमने मौन को.....
विवशता मान रखा है,
स्वीकृति का लक्षण मान रखा है..
किन्तु मौन....
एक अदृश्य सत्ता-शक्ति है...जो...
कभी असाध्य वीणा को साधता है
तो कभी मनुष्य को
ब्रह्मराक्षस तक बना देता है....
मौन रहकर भी
उतनी ही सहजता से....
सत्ता संचालन हो सकता है
जितना कि वाचाल होकर...
क्षण भर का मौन....
आत्मीय सुख और संतोष देता है,
पश्चाताप से बचाता भी है
तो फिर क्यों न हम मौन की
सत्ता और शक्ति को मान्यता दें
और विचार करें
कुछ देर एकसाथ मौन होकर,
मन की बात कहने को.....
कुछ देर एकसाथ मौन होकर
मन की बात कहने को......
रचनाकार......
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी नगर,जनपद-जौनपुर
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