मंदिरों व घरों में भक्तों ने किया कूष्मांडा देवी की पूजा | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
महिलाओं ने पचरा गाकर मां से की सुख शांति की कामना
जौनपुर। हिंदू चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को मां दुर्गा के कू ष्मांडा रूप की पूजा अर्चना हुई। इस दौरान लोगों ने अपने घरों पर जहां पूजा का आयोजन किया वहीं सुबह तड़के लोग मंदिरों पर भी दर्शन पूजन करते नजर आये। कई मंदिरों पर तो लंबी कतारें लगी भी देखी गई। मां शीतला चौकिया धाम व मां मैहर देवी मंदिर में पूरे दिन श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहा। डोभी संवाददाता के अनुसार चैत्र नवरात्रि के चौथे दिवस देवी कूष्माण्डा की पूजा गृहस्थ आश्रमों से लगायत क्षेत्र के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में हुई। डोभी क्षेत्र के हरिहरपुर में स्थित महामाया मंदिर , सेमरी के वनसत्ती मंदिर , चंदवक पुरानी बाजार दुर्गा मंदिर सहित विभिन्न अंचलों में घरों से लगायत नीम के चौरा पर रक्तपुष्प , ध्वजा , नारियल व अगरू की सुगंध से देवी के चतुर्थ स्वरूप की अर्चना कर गृहणियों ने पचरा गाकर मां से अपने परिवार की सुख शांति की कामना की। कूष्माण्डा देवी के चतुर्थ रूप महातम्य में दुर्गा देवी के इस रूप को अष्टभुजा देवी भी कहा गया है। पूरे ब्राह्मांड की सृष्टि हेतु मां का यह स्वरूप जगत विख्यात है। उदर से अंड तक उत्पत्ति की देवी को कूष्माण्डा देवी कहा गया है। यह अत्यंत उदार एवं मनोवांछित फल देती है। कूष्माण्डा देवी को मालपूवा, हरे फल एवं कद्दू का पेठा अति प्रिय है। नवरात्रि के नव दिनों में प्रत्येक दिवस मतारानी के सभी स्वरूपों की पूजा अर्चना का विधान है। व्रती महिला व पुरु ष स्थानीय मंदिरों के अतिरिक्त नवरात्रि में काशी के दुर्गाकुंड , विंध्याचल, मैहर देवीव जम्मू में वैष्णव माता का दशर््ान करने परिवार सहित जाते हैं। वही क्षेत्र के विभिन्न गांवो में स्थापित मंदिरों में नवदिन भक्तों की भीड़ लगती है। गर्मी के दिनों में पड़ने वाले चैत्र माह की नवरात्रि में हिंदू सनातनियो के घरों में कलश स्थापित कर उक्त कलश में स्थित विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है। यही पूजा कूष्माण्डा देवी की पूजा कही जाती है। इसी चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। इस कारण चैत्र नवरात्रि का महत्व जगत जननी की पूजा के साथ ही राम जन्मोत्सव का उल्लास लेकर आता है। पूरे क्षेत्र में स्थित मंदिरों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर सुबह शाम बजने वाले देवी गीतों ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया है ।
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