सब ईश्वर के रूप, परमात्मा से पृथक कोई नहीं:आनंद भूषण | #NayaSaberaNetwork
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भागतव महापुराण कथा में भक्तों ने सुनी कथा
सुजानगंज,जौनपुर। क्षेत्र के ग्राम पंचायत प्रेम का पूरा में मां अन्नपूर्णा धाम में श्री अन्नपूर्णा महोत्सव के अंतर्गत चल रही श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की कथा में श्रीधाम अयोध्या से आये कथा वाचक व्यास आनंद भूषण महाराज ने बताया कि मन दो प्रकार के होते हैं प्रथम प्रकार का मनन उत्पत्ति के विचार द्वारा होता है द्वितीय प्रकार का मनन उत्पत्तिओ के द्वारा संपन्न होता है। द्वितीय स्कंध में पांचवें अध्याय से सातवें तक तीन अध्यायों में उत्पत्ति के द्वारा मनन की प्रक्रिया है। आठवीं से दसवें तक उपपत्ती के द्वारा परिवर्तनशील अनित्य वस्तुओं का जन्म होता है। नित्य किंतु परीक्षित वस्तुओं का समागम होता नृत्य एवं अपरिछिन्न वस्तुओं का प्राकट्य होता है। अभिप्राय यह है कि जगत का जन्म जीवो का समागम एवं ई·ार का प्राकट्य होता है सिद्धांत यह है कि ई·ार से उत्पन्न होने के कारण सब ई·ार रूप ही हैं। तत्व परमात्मा से पृथक कोई वस्तु नहीं है। माया मोहित दुर्बुद्धि पुरु ष ही में और मेरा की बकवास करते हैं जो कुछ भी है द्रव्य कर्मकार स्वभाव जीव परमात्मा से पृथक नहीं है वेद देवता लोग यज्ञ योग तप ज्ञान गति सब का तात्पर्य परम तत्व के बोधन में ही हैं। इसे अन्य व्यक्ति के द्वारा जीव जगत की भगवत पताका प्रतिपदान किया जाता है। जो कुछ हो रहा है हुआ है और होगा परमात्मा वह सब कुछ तो है ही उससे परे में है। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य आयोजक धीरज कुमार दुबे, सुरेश चंद दुबे, दिनेश कुमार सिंह, संतोष द्विवेदी सहित तमाम क्षेत्र के श्रद्धालु कथा का श्रवण करने के लिए उपस्थित रहे।
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