ईस्टर प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने का पर्व:फादर पी विक्टर | #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क
सरायख्वाज,जौनपुर। ईस्टर पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में सेंट जॉन्स स्कूल के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर स्कूल की समस्त धर्म भगिनी एवं वि·ाासी उपस्थित रहे। फादर पी विक्टर ने ईस्टर पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईस्टर ईसा मसीह के जीवित हो उठने का पर्व है। यह खुशी का पर्व है। वि·ाासी एक मास तक व्रत रखकर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं। फादर ने बताया कि प्रभु यीशू की यातना से भरी भयानक मृत्यु के बाद उनके अनुयायी निराश हो उठे थे। वे उदास-हताश बैठे थे कि सहसा किसी ने जोर से दरवाजे को खटखटाया। दरवाजा खोलने पर सामने एक औरत खड़ी थी। उसने भीतर आकर लोगों को चकित कर दिया और कहा कि- 'मैं दो औरतों के साथ ईसा की समाधि पर जल चढ़ाने गई थी। वहाँ समाधि का पत्थर खिसका है और समाधि खाली हो गई। उसके भीतर दो देवदूत दिखे, जो हिम के समान उज्ज्वल वस्त्र धारण किए हुए थे और जिनका मुखमंडल दमक रहा था। उन्होंने बताया कि 'तुम लोग नाजरेथ के ईसा को ढूंढ़ रही हो वे यहाँ नहीं हैं। वे अब जी उठे हैं। मृतकों के बीच जीवित को क्यों दूँढ़ती हो ? जाकर यह शुभ समाचार उनके शिष्यों को सुनाओ।' मैं उसी समाचार को सुनाने आई हूँ। इस समाचार को सुनकर लोग चकित रह गए, उन्हें वि·ाास नहीं हुआ। इस बीच दूसरी औरत 'मग्दलेना' समाधि के निकट रोती रही थी। उसने देखा कि कोई कदम उसकी ओर बढ़ रहा है। उसने कहा- 'महाशय, यदि आपने ईसा मसीह का शव यहाँ से निकाल लिया है, तो कृपया बताइए कि कहाँ रखा है ?' उत्तर मिला- 'मेरी!' यह परिचित आवाज थी। उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उसने ही सबसे पहले पुन: जीवित ईसा को देखा और हाँफते हुए स्वर में कहा- 'प्रभु !' महाप्रभु ने कहा कि 'तुम मेरे अनुयायियों को संदेश दे दो कि मैं उन्हें शीघ्र मिलूँगा। मग्दलेना इस संदेश को लेकर विदा हुई और महाप्रभु के संदेश को उनके शिष्यों को सुनाया। प्रभु के पुनर्जीवित होने का यह पर्व ही ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। ईस्टर का पर्व प्रभु के जन्मदिवस क्रिसमस के समान ही पावन है। यह पर्व हमें करु णा,दया,क्षमा,प्रेम,वि·ाास का संदेश देता है।
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