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नया सबेरा नेटवर्क
हर दिल में बसी मुंबई क्या लाल गुलाबी है,
सब देख के कहते हैं, क्या गाल गुलाबी है।
लहरों पे मचलती है, बारिश से नहाती है,
जो बूँद छुए इसको, हर बूँद शराबी है।
ठुकराती नहीं किसको ,सबको अपनाती है,
दिलदार है ये ऐसी, क्या चाल नवाबी है।
इस प्यार के मंदिर को,बाजार नहीं समझो,
हर धूप के पर्वत से जाने की चाबी है।
किस सोच में हो बैठे, ये जगह मुबारक हो,
सोने - चाँदी वाला, ये शहर नायाबी है।
सपनों का शहर है ये, माया की नगरी है,
जब बात करो इससे, ये होंठ शराबी है।
जो अंग भिगोया था, तूने उस होली में,
वो रंग नहीं छूटा, वो अंग गुलाबी है।
इन हुस्न के जलवों की ये फिजा निराली है,
जो आँख लड़ाई है वो आँख शराबी है।
रामकेश यादव (कवि, साहत्यिकार), मुंबई
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