प्रधानी का चुनाव! | #NayaSaberaNetwork
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गांव प्रधानी का चुनाव फिर आया है,
प्रत्याशियों ने लोगों को लुभाया है।
बरसातू मेढक के जैसे मचा रहे शोर,
पांवों पे गिरने का मौसम आया है।
खरीदफरोख्त का मेला है खूब सजा,
वोट की फसल का भी दाम बढ़ाया है।
मुर्गा,मटन मछली चाहे जितना खाओ,
पियक्कड़ों को दारू भी भिजवाया है।
पीने की आदत नहीं थी जिन्हें, सुनो!
नशे के चंगुल में उन्हें फंसाया है।
ये तो सोयेंगे रुपये- पैसे के पहाड़ पर,
हँसते- खेलते घरों में आग लगाया है।
अर्श से फर्श पर,वो गिरे जायेंगे बच्चे,
उन कंधों पे क्यों दुकान सजाया है।
ईमानदारों से जहाँ गमकता देश,
साम - दाम, दण्ड - भेद अपनाया है।
तेरी बेहोशी से ही वो बना था प्रधान,
तभी तो विकास का फण्ड चबाया है।
मत की ताकत को समझ,ऐ!मतदाता,
इसीलिए ये फिर से चुनाव आया है।
रामकेश एम. यादव(कवि, साहित्यकार),मुंबई
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