वन मैन शो धनंजय सिंह के चुनावी आगाज से गरमायी सियासत | #NayaSaberaNetwork
- 374 बूथों पर टीम धनंजय, निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक साथ शुरू किया प्रचार
- बोले एमएलसी - हर बूथ पर तैनात किये गये है 25 कार्यकर्ता
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। मल्हनी विधानसभा उपचुनाव में निषाद पार्टी के प्रत्याशी एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने समर्थकों के साथ रविवार को चुनाव प्रचार का आगाज किया। उनके इस आगाज से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गयी है। हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मल्हनी विधानसभा का उपचुनाव जीतने के लिए बूथ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को टिप्स दिया लेकिन पूर्व सांसद धनंजय सिंह के तूफानी चुनाव प्रचार के आगाज से हर दल के कार्यकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
गौरतलब हो कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने मल्हनी विधानसभा उपचुनाव को जीतने के लिए जो रणनीति बनायी है उससे यह जाहिर है कि चाहे जिस दल के प्रत्याशी हो सबका मुकाबला वन मैन शो धनंजय सिंह से ही होगा, हालांकि उनको टक्कर देने के लिए सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस कमर कस रही है लेकिन उनका अपना खुद का इतना जबरदस्त क्षेत्र में वर्चस्व है कि अन्य दलों को पटकनी देने में कामयाब होते नजर आ रहे है।
बताते चले कि धनंजय सिंह अपने गांव बनसफा में चुनाव प्रचार किया तो एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसू अपने बूथ बैजारामपुर में चुनाव प्रचार की शुरूआत किया। इसी तरह मल्हनी विधानसभा के 374 बूथों पर धनंजय सिंह की टीम व निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से प्रचार शुरू कर दिया है। एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसू ने बताया कि हर बूथ पर टीम धनंजय व निषादराज पार्टी के 25 कार्यकर्ता बनाये गये है। सभी कार्यकर्ताओं ने एक साथ अपने बूथ व गांवों में रविवार को सुबह 9 बजे चुनाव प्रचार शुरू किया। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि धनंजय सिंह के चुनाव प्रचार से भाजपा को नुकसान होने के साथ साथ सपा—बसपा के वोट बैंक में भी सेंध लगना तय माना जा रहा है।
ज्ञातव्य हो कि बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में 50 हजार से अधिक वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि भाजपा तीसरे स्थान पर रही। हालांकि स्व. पारसनाथ यादव ने जीत का परचम लहराया था। इस बार पारसनाथ यादव की अनुपस्थिति में यह सीट किसके खाते में जाएगी यह भविष्य के गर्भ में है। हालांकि इस विधानसभा सीट पर स्व. पारसनाथ यादव व धनंजय सिंह में ही कांटे का संघर्ष रहता था। इस बार संघर्ष के लिए कोई कद्दावर नेता चुनाव मैदान में नजर नहीं आ रहा है।
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