निर्माण के 11 वर्ष बाद भी नहीं हुआ सामुदायिक शौचालय का उद्घाटन | #NayaSaberaNetwork
- आदर्श ग्राम खजुरहट में 2009 में बने थे दो सामुदायिक शौचालय
- निर्माण व मरम्मत के नाम पर लगभग 10 लाख की हो गई बन्दरबाट
- ग्रामीणों की शिकायतों पर भी नहीं हुई कोई कार्यवाही
अखिलेश श्रीवास्तव
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय विकास खण्ड के खजुरहट ग्राम पंचायत में विगत 11 वर्षों से बने दो सामुदायिक शौचालयों का आज तक उद्घाटन नहीं हो पाया न ही आम जनता के लिये खुला जबकि निर्माण व मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये की बंदरबाट हो गई। ग्रामीणों की लाख शिकायतों के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
शासन के स्वच्छ भारत मिशन की खिल्ली ग्राम पंचायत खजुरहट में खुले आम उड़ रही है। जहां जनपद में अधिकांश ब्लॉकों के ग्राम पंचायतों में चमकते दमकते सामुदायिक शौचालय बनवाकर जनता को खुले में शौच न करने का संदेश दिया जा रहा है। वहीं खजुरहट ग्राम की बात ही कुछ अलग है। बताया जाता है कि वर्ष 2008-09 में वर्तमान ग्राम प्रधान तीर्थ राज वर्मा की पत्नी शिमला वर्मा के कार्यकाल में खजुरहट- जुड़ऊपुर गांव की सीमा पर व लकछुरिया में लगभग चार-चार लाख कीमत का ग्रामवासियों के सार्वजनिक उपयोग के लिये दो सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया। जिसका आज तक ताला ही नहीं खुला जबकि इसी अवधि में वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिया गया। ब्लॉककर्मियों व ग्राम प्रधान उक्त शौचालयों के निर्माण व मरम्मत के नाम पर पैसों की जमकर बंदरबाट किया लेकिन कभी ग्रामीणों ने शौचालय का उपयोग ही नहीं किया। ग्रामीण शौचालय के सामने ही खुले में शौच कर रहे हैं। शौचालयों में विषैले जीव, जन्तुओं का बसेरा है। शौचालयों में लगे समरसेबुल पम्प, टंकी, दरवाजे, पीबीसी पाइप, टाइल्स, ईंट, दरवाजे तक की चोरी हो गई या तो बेच लिया गया। उक्त घोटाले की जांच कराने के लिये ग्रामीण लक्ष्मीशंकर पटेल, लल्लन पटेल के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री, सचिव उ.प्र., आयुक्त, जिलाधिकारी से लेकर समाधान दिवसों पर दर्जनों शिकायती पत्र दिये लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो सकी क्योंकि सभी जांच ब्लॉक में पहुंचकर ठंडे बस्ते में चली गई। इस बाबत जब खण्ड विकास अधिकारी राजन राय से पूछा गया तो बताया कि अभी मेरे संज्ञान में नहीं है। यह बिडंबना ही है कि अपने क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में व्याप्त अनियमितता से सक्षम अधिकारी ही अनभिज्ञ हैं। यही नहीं कई स्वच्छ भारत मिशन के तहत दर्जनों शौचालयों का पैसा तो निकल गया लेकिन मौके पर अधिकांश बने ही नहीं जो जांच का विषय है।
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